Gangasagar Fair 2021: कोरोना ने गंगासागर मेले को दिया ई-मेले का रूप, 73 लाख से अधिक लोगों ने किया ई-स्नान
Gangasagar Fair 2021 कोरोना ने गंगासागर मेले को दिया ई-मेले का रूप 73 लाख से अधिक लोगों ने गंगासागर तट और कपिल मुनि मंदिर के किए ई-दर्शन 212500 लोगों ने किया ई-स्नान। गंगासागर मेले में इस बार टेक्नोलॉजी का जिस तरह से इस्तेमाल हुआ वैसा पहले कभी नहीं देखा गया।
गंगासागर, विशाल श्रेष्ठ। किसी ने सच कहा है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी है। कोरोना काल में आयोजित हुए गंगासागर मेले ने इस कहावत को फिर से चरितार्थ किया है। गंगासागर मेले में इस बार टेक्नोलॉजी का जिस तरह से इस्तेमाल हुआ, वैसा पहले कभी नहीं देखा गया। कोरोना महामारी के मद्देनजर कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने इस साल ई-स्नान पर खासा जोर दिया था।
गंगासागर मेले के आयोजन का प्रभार प्राप्त बंगाल के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने बताया कि इस बार 73 लाख से अधिक लोगों ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर समेत विभिन्न सोशल प्लेटफार्म के माध्यम से गंगासागर तट और कपिल मुनि मंदिर के ई-दर्शन किए जबकि 2,12,500 लोगों ने ई-स्नान किया। गौर करने वाली बात यह है कि गंगासागर व इसके आसपास पहुंच चुके 63,000 तीर्थयात्रियों ने भी पुण्य डुबकी लगाने के बजाय ई-स्नान का ही विकल्प चुना।
ई-स्नान के किट निःशुल्क प्रदान करने के लिए खोले गए थे 55 काउंटर
राज्य सरकार की ओर से ई-स्नान के किट निःशुल्क प्रदान करने के लिए गंगासागर, कचुबेरिया, काकद्वीप और कोलकाता के आउट्राम घाट पर कुल 55 काउंटर खोले गए थे। तो क्या गंगासागर मेला भविष्य में पूरी तरह से ई-मेले में तब्दील हो जाएगा? इसके जवाब में मुखर्जी ने कहा-'इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। गंगासागर मेले में पहले ऐसी जरूरत महसूस नहीं की गई थी इसलिए टेक्नोलॉजी के उपलब्ध होने के बावजूद उसका व्यापक तौर पर इस्तेमाल नहीं हुआ लेकिन कोरोना के कारण इस बार टेक्नोलॉजी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ है। आने वाले वर्षों में इसका प्रयोग और बढ़ सकता है।'
दक्षिण 24 परगना, जिसके अंतर्गत गंगासागर क्षेत्र आता है, के जिलाधिकारी डॉ. पी. उलागानाथन भी इस बात से पूरी तरह सहमत हैं। उन्होंने कहा-' ई-स्नान और ई-दर्शन की व्यवस्था पहले भी थी, लेकिन इस साल इसे जैसी प्रतिक्रिया मिली है, पहले नहीं मिली। आने वाले वर्षों में इसका चलन और बढ़ने की उम्मीद है।' उलागानाथन समेत अधिकतर प्रशासनिक अधिकारियों ने इस साल खुद भी ई-स्नान का विकल्प चुना।
मनोविज्ञानियों का कहना है कि हर व्यक्ति अपनी सुख-सुविधा के हिसाब काम करना चाहता है, जो धीरे-धीरे आदत बन जाती है। इस बार जिन लोगों ने कोरोना के कारण यहां न आकर ई- स्नान व ई-दर्शन का विकल्प चुना, इसकी सुलभता व सुविधा को देखते हुए हो सकता है कि भविष्य में हालात के अनुकूल होने पर भी वे घर बैठकर फिर से इसी विकल्प का चयन करें।
ई-मेले में बदलने से क्या कम हो जाएगा इसका धार्मिक महत्व
गंगासागर मेले के ई-मेले में बदलने से इसका धार्मिक महत्व कम तो नहीं हो जाएगा, इसके जवाब में कपिल मुनि मंदिर के महंत ज्ञानदास जी महाराज के उत्तराधिकारी संजय दास ने कहा-'गंगासागर मेले का धार्मिक महत्व कभी कम नहीं होगा। कोरोना के कारण पैदा हुए विकट हालात की वजह से इस बार ऐसी व्यवस्था करनी पड़ी। जिन लोगों की गंगासागर और कपिल मुनि के प्रति श्रद्धा है, वे निश्चित रूप से यहां आएंगे। शारीरिक रूप से असमर्थ, बीमार और उम्रजनित कारणों से जो लोग यहां नहीं आ सकते, उनके लिए टेक्नोलॉजी बेहतर विकल्प है।'