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पंचायत चुनाव में हिंसा को लेकर हाईकोर्ट पहुंचे विपक्ष

मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ को बार एसोसिएशन के सदस्य ने मोबाइल पर मतदान के दौरान हो रही हिंसा की तस्वीरें दिखाई थी और मांग की थी कि इस मामले हस्तक्षेप करें।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 16 May 2018 10:52 AM (IST)Updated: Wed, 16 May 2018 01:44 PM (IST)
पंचायत चुनाव में हिंसा को लेकर हाईकोर्ट पहुंचे विपक्ष
पंचायत चुनाव में हिंसा को लेकर हाईकोर्ट पहुंचे विपक्ष

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद, पंचायत चुनाव निर्बाध, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण नहीं हुआ। जगह-जगह हिंसा हुई। कई लोगों की जानें चली गईं। इसी मुद्दे को लेकर मंगलवार को माकपा और पार्टी ऑफ डेमोक्रेटिक सोशलिज्म (पीडीएस) ने हाईकोर्ट में अपील की।

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उन्होंने कहा कि राज्य चुनाव आयोग, पुलिस महानिदेशक और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ने अदालत के निर्देश का पालन नहीं किया। इसीलिए उनके खिलाफ कोर्ट अवमानना का मुकदमा दायर किया जाए। माकपा व पीडीएस के अधिवक्ता शमीम अहमद और सव्यसाची चट्टोपाध्याय ने मंगलवार को सुबह साढ़े दस बजे मुख्य न्यायाधीश ज्योतिर्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ का इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया। साथ ही कहा कि गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने चुनाव आयोग को निर्बाध, शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।

परंतु, सोमवार को पूरे राज्य में तस्वीर पूरी तरह से विपरीत थी। आयोग और पुलिस ने हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया। इसलिए उन सब पर अदालत अवमानना का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। साथ ही खंडपीठ इस मामले पर शीघ्र सुनवाई शुरू करे। इस पर मुख्य न्यायाधीश भट्टाचार्य व न्यायाधीश अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने अपील करने वाले पक्ष को कहा कि इस मामले पर वे अलग से मुकदमा दायर कर सकते हैं। अगर अदालत को लगेगा कि आयोग और पुलिस ने कोर्ट की अवमानना की है तो इस पर भी बाद में विचार किया जाएगा। हालांकि, अभियोजन पक्ष को खंडपीठ ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इन मामलों की सुनवाई आवश्यक नहीं है। गर्मी की छुट्टी के बाद कोर्ट इस मामले पर सुनवाई कर सकती है।

सोमवार को मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ को बार एसोसिएशन के सदस्य ने मोबाइल पर मतदान के दौरान हो रही हिंसा की तस्वीरें दिखाई थी और मांग की थी कि इस मामले हस्तक्षेप करें। हालांकि, बाद में खंडपीठ ने कहा था कि अगर इस मामले पर वे मुकदमा दायर करना चाहता है, तो अदालत उसे अनुमति देगी। 


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