Coronavirus Effect: कॉर्पोरेट्स को उम्मीद, आर्थिक स्थिति सामान्य होने में लगेंगे लगभग 17 महीने
महामारी कोविड-19 और उसकी रोकथाम के लिए लागू किए गए लॉक डाउन का असर देश की अर्थव्यवस्था पर खासा पड़ा है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : महामारी कोविड-19 और उसकी रोकथाम के लिए लागू किए गए लॉक डाउन का असर देश की अर्थव्यवस्था पर खासा पड़ा है। कॉर्पोरेट को उम्मीद है कि आर्थिक स्थिति सामान्य होने में लगभग 17 महीने लगेंगे। यह बात टीआरए रिसर्च की रिपोर्ट “टीआरए के कोरोनवायरस कॉर्पोरेट इनसाइट्स 2020“ में कही गई है। कंज्यूमर इनसाइट और ब्रांड एनालिटिक्स कंपनी टीआरए रिसर्च ने अपनी दूसरी रिपोर्ट “ कोरोनवायरस कॉर्पोरेट इनसाइट्स 2020“ जारी की, जो कि 16 शहरों में की गई एक रिसर्च पर एक व्हाइटपेपर है। यहां कंपनी की ओर से जारी बयान में इसकी जानकारी दी गई है।
ये सर्वे देश के 16 शहरों में 08 अप्रैल से 04 मई, 2020 तक आयोजित किया गया, जिसमें 101 कॉर्पोरेट रिस्पॉन्डेंट्स ने हिस्सा लिया। टीआरए सर्वे ये संकेत देता है कि कॉर्पोरेट्स, औसतन, यह समझते हैं कि आर्थिक सामान्य स्थिति प्राप्त करने में 66.1 सप्ताह (16.5 महीने) लगेंगे, जबकि पूर्ण स्वास्थ्य सामान्य स्थिति के लिए, उन्हें लगता है कि इसमें 15 सप्ताह (3.8 महीने) से अधिक लगेंगे। एन.चंद्रमौली, सीईओ, टीआरए रिसर्च, ने इसके परिणामों के बारे में विस्तार से बताया कि “कॉर्पोरेट इंडिया की सबसे बड़ी चिंता वैश्विक मंदी की है, जो वरी इंडेक्स (चिंता सूचकांक) पर 66 प्रतिशत है, इसके बाद 59 प्रतिशत पर स्वास्थ्य संकट को दूर करने में भारत की अक्षमता है। बिज़नेस सर्वाइवल के तीन महत्वपूर्ण कारक, भारत का कमजोर आर्थिक दृष्टिकोण और सामाजिक अशांति, सभी में 57 प्रतिशत का एक चिंता सूचकांक था, जो कई सहवर्ती चुनौतियों को दिखा रहा था, जिससे के इस समय कॉर्पोरेट भारत इस समय जूझ रहा था। ग्राहकों के विश्वास में आ रही अस्थिरता कुछ चिंता बढ़ाते हैं और 39 प्रतिशत के साथ चिंता सूचकांक में सबसे कम रहता है, संभवतः कॉर्पोरेट्स को बड़े पैमाने पर चिंतित करने वाले वे व्यवधान हैं जो कि आने वाले दिनों में सामने आएंगे।”
चंद्रमौली ने कहा कि “कोविड के प्रभाव को देखते हुए, इम्पैक्ट इंडेक्स पर 75 प्रतिशत के साथ आय सबसे अधिक प्रभावित होने वाला पहलू है। इसके बाद विज्ञापन में 64 प्रतिशत का प्रभाव है, जिसमें स्पष्ट होता है कि पहली कटौती तुरंत नियंत्रणीय खर्चों में थी, क्योंकि लॉकडाउन के कारण विशेष रूप से कई क्षेत्रों के दौरान नगण्य मांग रह गई है।” सर्वेक्षण से पता चला कि प्रमुख प्रबंधन के बीच कोपिंग-वरी अंतर 32 प्रतिशत पर सबसे अधिक था, और शायद सब कुछ एक साथ सामना करने के लिए शीर्ष प्रबंधन के लिए चिंताएं काफी अधिक हैं।
शीर्ष प्रबंधन की अन्य चुनौती शायद उनके व्यक्तिगत डर और चिंताओं के बावजूद उन्हें पेश करने की ताकत का बाहरी प्रदर्शन है। कॉर्पोरेट्स की प्राथमिकता पर, ओपैक्स की कमी 69.5 प्रतिशत के साथ प्राथमिकता के मामले पर शीर्ष स्थान है, कैपएक्स में कमी 65.5 प्रतिशत पर दूसरी सबसे बड़ी प्राथमिकता है, बिजनेस स्ट्रैटजी 64.5 प्रतिशत की प्राथमिकता के साथ तीसरे स्थान पर है और कंपनी का संचालन 56.5 प्रतिशत के साथ प्राथमिकता सूची पर चौथे नंबर पर है। इसके विपरीत कई लोगों का मानना है कि कॉर्पोरेट्स के लिए मैनपावर लागत में कटौती काफी आखिरी कदम है, जो कि उनकी प्राथमिकता सूची में 51.5 प्रतिशत के साथ पांचवें स्थान पर है।