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Bengal Assembly Elections 2021: बंगाल विस चुनाव में कांग्रेस-वामदल साथ मिलकर तृणमूल को देंगे कड़ी चुनौती

Bengal Assembly Elections 2021 प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा-कांग्रेस-वामो गठबंधन बंगाल की जनता के लिए बनेगा तीसरा विकल्प। सोनिया गांधी और राहुल गांधी जैसे कांग्रेस के शीर्ष स्तर के नेता वाम उम्मीदवारों के लिए हमेशा चुनाव प्रचार करते आए हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 11:32 AM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 11:32 AM (IST)
Bengal Assembly Elections 2021: बंगाल विस चुनाव में कांग्रेस-वामदल साथ मिलकर तृणमूल को देंगे कड़ी चुनौती
पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और वामदल साथ मिलकर तृणमूल कांग्रेस को कड़ी चुनौती देंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने यह दावा किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस-वामो गठबंधन बंगाल की जनता के लिए 'तीसरा विकल्प' बनेगा।

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भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य के विरोधाभासी बयान पर चौधरी ने कहा- 'बंगाल और बिहार की परिस्थितियां बहुत अलग हैं।दीपंकर बाबू को यह बात माननी चाहिए। वामदलों ने बंगाल में 34 वर्षों तक शासन किया है।' दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा था कि बंगाल में कांग्रेस के अधीन हो जाना वामदलों के लिए खुदकशी करने जैसा होगा।

मुर्शिदाबाद जिले के बहरमपुर लोकसभा सीट से पांच बार के सांसद चौधरी ने आगे कहा-'2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस लगभग 90 सीटों पर लड़कर 44 सीटों पर जीती थी जबकि वाममोर्चा ने 200 से अधिक सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे जबकि उसकी झोली में महज 32 सीटें आई थीं।

इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बंगाल में दो सीटें जीती थीं जबकि वामदलों का खाता भी नहीं खुल पाया था। एक सीट पर तो वामो प्रत्याशी की जमानत तक जब्त हो गई थी। वामदल हमेशा दो दिमाग लेकर चलते हैं जबकि कांग्रेस वामदलों के साथ चुनावी समझौते के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहती है।

सोनिया गांधी और राहुल गांधी जैसे कांग्रेस के शीर्ष स्तर के नेता वाम उम्मीदवारों के लिए हमेशा चुनाव प्रचार करते आए हैं। चौधरी ने पुराने कांग्रेसियों से पार्टी में लौट आने की अपील करते हुए कहा- 'कांग्रेस छोड़कर दूसरे दलों में गए कांग्रेसी लौट आएं। हम उन्हें वह सम्मान देने की कोशिश करेंगे, जिसके वे हकदार हैं। आज जो तृणमूल कांग्रेस की रीढ़ की हड्डी बने हुए हैं, वे दरअसल कांग्रेसी ही थे। 


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