कांग्रेस नेता अधीर रंजन का सीएम ममता को खुला पत्र, केंद्रीय योजनाओं से बंगाल को वंचित किए जाने पर उठाए सवाल
अधीर रंजन ने यह जानने के लिए ममता के हस्तक्षेप की मांग की कि गरीब कल्याण योजना में बंगाल के किसी भी जिले का नाम क्यों नहीं है।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। बंगाल के एक भी जिले का नाम केंद्र के 50,000 करोड़ रुपये वाले गरीब कल्याण अभियान में नहीं है। कांग्रेस के लोकसभा में संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस संबंध में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हस्तक्षेप की मांग करते हुए एक खुला पत्र लिखा है। पिछले हफ्ते केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाता सम्मेलन में गरीब कल्याण योजना की घोषणा की थी। जिसमें बंगाल के किसी जिले का नाम नहीं है। हालांकि, यह परियोजना 6 राज्यों के कुल 118 जिलों में लागू की जाएगी। अधीर ने यह जानने के लिए ममता के हस्तक्षेप की मांग की कि बंगाल के जिले का नाम क्यों नहीं है। उनके अनुसार अन्य राज्यों में काम करने वाले कई बंगाल के लाखों मजदूर लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हो गए हैं। वे किसी तरह अपने घरों को लौट आए हैं, लेकिन चिंतित हैं कि निकट भविष्य में उन्हें भोजन कैसे मिलेगा।
कांग्रेस नेता ने सवाल किया है कि आज लाखों लोग बेरोजगार हैं। लेकिन केंद्र की गरीब कल्याण रोजगार अभियान की सूची में बंगाल नहीं है। सवाल यह है कि केंद्र ने सूची किस आधार पर बनाई गई? बंगाल के जिले का नाम क्यों नहीं है? सूची में बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, ओड़िशा और राजस्थान के 118 जिलों के प्रवासी श्रमिकों को योजना के तहत 125 दिन का काम मिलेगा। वहीं अधीर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि बंगाल में भी यह अभियान शुरू किया जाए।
दूसरी तरफ तृणमूल सांसद व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने सोमवार को गरीब कल्याण रोजगार अभियान से बंगाल का नाम शामिल नहीं होने को लेकर केंद्र पर सवाल उठाते हुए निशाना साधा था। तृणमूल सांसद ने ट्वीट करते हुए लिखा था, "प्रधानमंत्री जी आपने क्यों बंगाल के 11 लाख प्रवासी कामगारों की चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया है जो हाल में अपने घरों को लौटे हैं।" उन्होंने सवाल किया कि बंगाल को गरीब कल्याण रोजगार अभियान से क्यों वंचित किया गया है? बंगाल के प्रति यह उदासीनता क्यों बरती गई है? यहां बताते चलें कि ममता सरकार ने केंद्र की आयुष्मान भारत से लेकर किसान सम्मान निधि योजना लागू करने से इनकार कर दिया था और अब केंद्रीय योजना को लेकर सवाल उठा रहे हैं।