बंगाल विधानसभा में सीबीआइ, ईडी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित, सीएम ममता ने मोदी सरकार पर लगाए ये आरोप
बंगाल की ममता सरकार ने सोमवार को विधानसभा में केंद्रीय जांच एजेंसियों की ज्यादतियों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव किया जो ध्वनिमत से पारित हो गया। निंदा प्रस्ताव में केंद्रीय एजेंसियों पर राज्य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास करने का आरोप लगाया गया।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल की ममता सरकार ने सोमवार को विधानसभा में केंद्रीय जांच एजेंसियों की ज्यादतियों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव किया, जो ध्वनिमत से पारित हो गया। प्रस्ताव के पक्ष में 189 वोट तथा विरोध में 64 वोट पड़े। निंदा प्रस्ताव में केंद्रीय एजेंसियों पर राज्य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास करने का आरोप लगाया गया। इससे पहले प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए केंद्रीय एजेंसियों का राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विरोधियों को परेशान करने के लिए सीबीआइ, ईडी व अन्य एजेंसियों का लगातार दुरूपयोग किया जा रहा है। इस प्रस्ताव पर करीब दो घंटे तक चर्चा हुई। प्रस्ताव पर बहस में मुख्यमंत्री के अलावा विपक्ष से नेता प्रतिक्षत सुवेंदु अधिकारी समेत अन्य विधायकों ने हिस्सा लिया। इधर, नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने इस प्रस्ताव को असंवैधानिक बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव से केंद्रीय एजेंसियों के कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जो चोरी करेगा वह जरूर पकड़े जाएंगे। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय जांच एजेंसियां पिछले कुछ महीनों से शिक्षक भर्ती में हुए भ्रष्टाचार, कोयला तस्करी, मवेशी तस्करी जैसे घोटालों की जांच में सक्रिय है। शिक्षक भर्ती व मवेशी तस्करी मामले में सीबीआइ व ईडी तृणमूल कांग्रेस के दो कद्दावर नेताओं को पिछले दिनों गिरफ्तार कर चुकी है। जिसके बाद तृणमूल लगातार आरोप लगा रही है कि सीबीआइ और ईडी का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है।
राज्य सरकार को अस्थिर करने की साजिश का आरोप
निंदा प्रस्ताव के मसौदे में कहा गया, विभिन्न केंद्रीय जांच एजेंसियां राज्य में मुख्य विपक्षी भाजपा के विधायकों और नेताओं के प्रति नरमी दिखा रही हैं, जिनके खिलाफ कई आरोप हैं जबकि सत्ता पक्ष के नेताओं, सांसदों, विधायकों को जानबूझकर परेशान और गिरफ्तार किया जा रहा है। राज्य सरकार को अस्थिर करने की साजिश चल रही है। निंदा प्रस्ताव में आरोप लगाया गया कि केंद्रीय एजेंसियां भाजपा नेताओं को समन क्यों नहीं कर रही है। प्रस्ताव में जांच एजेंसी की निष्पक्षता पर सवाल उठाया गया। निंदा प्रस्ताव के मसौदे में यह भी कहा गया है, लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव नहीं जीतने के प्रतिशोध में केंद्र सरकार और उसकी सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने चुनी हुई सरकार और राज्य के विधायकों, मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों, सरकार के खिलाफ अलोकतांत्रिक, निरंकुश रवैया अपनाया है। अधिकारियों, उद्योगपतियों, व्यापारियों, दुकानदारों, किसानों, छात्रों और युवाओं पर सभी स्तरों के शुभचिंतकों पर एकतरफा अत्याचार किया जा रहा है। प्रस्ताव में उल्लेख किया गया है कि 2021 में बंगाल में तीसरी बार तृणमूल सरकार के गठन के बाद, विभिन्न जांच एजेंसियों की गतिविधियां अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गईं, जब एक केंद्रीय जांच एजेंसी ने कई वरिष्ठ विधायकों के खिलाफ बिना अनुमति के आरोप पत्र दायर किया है। मसौदे में आरोप लगाया गया कि लोकतंत्र का अपमान कर कई राज्यों में विधायकों की खरीद फरोख्त कर सरकार गिराई की जा रही है। चुनी हुई सरकार को परेशान करके घृणित राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। बंगाल की सत्ताधारी पार्टी ने कहा है कि केंद्रीय जांच एजेंसी की गतिविधियां बंगाल विधानसभा, विधानसभा के सदस्यों और राज्य के लोगों के सम्मान को नुकसान पहुंचा रही हैं।