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Durga Puja: कोलकाता के पूजा पंडालों की थीम में कोविड पीड़ितों के लिए स्मारक, नए कपड़ों की लालसा भी शामिल

उत्तर कोलकाता की एक पूजा समिति इलाके के उन 20 लोगों को याद कर रही है जिनकी कोविड -19 के कारण मृत्यु हो गई थी। पंडाल में इनकी तस्वीरों को लगाया गया है सब कुछ सादगी से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसे तर्पण नाम दिया गया है।

By Priti JhaEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 10:07 AM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 10:07 AM (IST)
Durga Puja: कोलकाता के पूजा पंडालों की थीम में कोविड पीड़ितों के लिए स्मारक, नए कपड़ों की लालसा भी शामिल
कोलकाता के पूजा पंडालों की थीम में कोविड पीड़ितों के लिए स्मारक

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। महानगर की विभिन्न पूजा समितियों ने इस बार भी लोगों को आकर्षित करने के लिए विविध विषयों को अपने पंडालों की थीम बनाया है और इनमें चार सदी पहले एक जमींदार द्वारा दुर्गा पूजा के महंगे आयोजन से लेकर कोरोना महामारी में जान गंवाने वाले लोगों के सम्मान में स्मारक, त्योहारों के लिए बच्चों में नए कपड़े को लेकर उत्साह, आक्सीजन संयंत्र तक शामिल हैं। दुर्गा पूजा त्योहार के तीसरे दिन यानी महाष्टमी को लोग विभिन्न विषयों पर आधारित मूर्तियों और सजावट की एक झलक पाने के लिए पंडालों में आते हैं।

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दक्षिण कोलकाता के बारिशा में एक आयोजक ने 400 साल पहले राजसाही (अब बांग्लादेश में) के एक जमींदार द्वारा आयोजित पूजा को फिर से जीवंत करने का प्रयास किया है। आयोजकों के अनुसार शोध के दौरान पता चला कि 1606 में हुई पूजा के लिए राजा कंगसा नारायण ने नौ लाख रुपये खर्च किए थे। बारिसा सबरना पाड़ा पूजा समिति ने विशेषज्ञों की मदद से किए गए शोध का हवाला देते हुए दावा किया कि मूर्ति का निर्माण रमेश भास्कर ने किया था जो उस समय के सबसे अच्छे कलाकारों में से एक थे।

पूजा समिति के महासचिव बरुण घोष ने कहा कि अपने 73वें वर्ष में, हमने तत्कालीन जमींदार कंगसा नारायण द्वारा की गयी पूजा को वापस लाने का प्रयास किया है और यह उस समय की सबसे महंगी पूजाओं में से एक थी। 1606 में नौ लाख रुपये आज 300 करोड़ रुपये के बराबर है। पूजा समिति ने इसे 300 कोटिर पूजा (300 करोड़ रुपये की पूजा) का नाम दिया है।

उत्तर कोलकाता की एक पूजा समिति इलाके के उन 20 लोगों को याद कर रही है जिनकी कोविड -19 के कारण मृत्यु हो गई थी। पूजा समिति के एक प्रवक्ता ने कहा कि उनके पंडाल में इन लोगों की तस्वीरों को लगाया गया है और सब कुछ सादगी से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसे तर्पण नाम दिया गया है। सुरुचि संघ ने पूजा से पहले नए कपड़ों की बच्चों की इच्छा को अपनी पूजा का विषय बनाया है 


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