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Pneumonia: ममता बनर्जी बोलीं, निमोनिया से लड़ने को प्रतिबद्ध है बंगाल सरकार

CM Mamata Banerjee . ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाल में हमारी सरकार पूरी तरह से निमोनिया और अन्य बच्चों को प्रभावित करने वाली बीमारियों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 04:12 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 04:12 PM (IST)
Pneumonia: ममता बनर्जी बोलीं, निमोनिया से लड़ने को प्रतिबद्ध है बंगाल सरकार
Pneumonia: ममता बनर्जी बोलीं, निमोनिया से लड़ने को प्रतिबद्ध है बंगाल सरकार

जागरण संवाददाता, कोलकाता। CM Mamata Banerjee . विश्व निमोनिया दिवस पर मंगलवार को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि निमोनिया नवजात शिशुओं के लिए जानलेवा बीमारी है, लेकिन हमारी सरकार बच्चों को प्रभावित करने वाली बीमारियों का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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मंगलवार सुबह ममता बनर्जी ने ट्वीट किया, 'आज विश्व निमोनिया दिवस है। निमोनिया पांच वर्ष से कम आयु वाले बच्चों के प्रमुख संक्रामक जानलेवा बीमारियों में से एक है। बंगाल में हमारी सरकार पूरी तरह से निमोनिया और अन्य बच्चों को प्रभावित करने वाली बीमारियों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है।

विशेषज्ञों की राय में निमोनिया यूं तो किसी भी उम्र के लोगों को अपना शिकार बना सकती है, लेकिन छोटे बच्चे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है, ताकि लोगों को इस बीमारी, इसके लक्षण, कारण और उपचार के बारे में जागरूक किया जा सके। 

गौरतलब है कि महानगर और उसके आसपास के जिलों में डेंगू फैलने का संज्ञान लेते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने गत सोमवार को राज्य सरकार इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की पीठ ने राज्य सरकार को डेंगू फैलने एवं उस पर रोकने के लिए की गई कार्रवाई पर 22 नवंबर तक रिपोर्ट मांगी है। इस मामले में अब 22 नवंबर को सुनवाई होगी। दरअसल, वकील विकास रंजन भट्टाचार्य और रविशंकर चटर्जी ने सोमवार को अलग-अलग याचिकाएं दायर करते हुए कहा था कि इस साल राज्य में यह बीमारी तेजी से फैल रही है, 40 से अधिक मौतें हो चुकी हैं।

याचिका में कहा गया कि करीब 45000 लोग उसकी चपेट में आ चुके हैं तथा ज्यादातर मामले दुर्गा पूजा के बाद आए हैं। उन्होंने दावा किया कि हाईकोर्ट ने 2017 में राज्य सरकार और कोलकाता नगर निगम को निर्देश दिया था कि हर साल खासकर मानसून और उसके बाद फैलने वाली इस बीमारी के रोकथाम के लिए उचित कदम उठाए। उन्होंने दावा किया कि मच्छर जनित इस बीमारी पर काबू पाने के प्रति प्रशासन का रवैया ढुलमुल रहा है।

उक्त दलीलें सुनने के बाद प्रधान न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य में तेजी से पैर पसार रहे डेंगू रोकथाम के लिए सरकार की ओर से क्या कदम उठाएं गए हैं? राज्य में डेंगू से मरने वालों की संख्या कितनी है? वर्तमान में राज्य में डेंगू के मरीजों की कुल संख्या कितनी है? इसकी विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया।

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