Corona Effect: कोरोना महामारी के कारण दो साल बाद बच्चों के लिए खुली जगहों में ही लगेंगी कक्षाएं
शिक्षा मंत्री ने कहा महामारी के कारण लंबे समय से स्कूल बंद हैं। पढ़ाई के लिए कई कदम उठाने के बाद भी छात्रों पर असर पड़ रहा। इसलिए मुख्यमंत्री के निर्देशन में विभिन्न स्कूलों में प्री-प्राइमरी से पांचवीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं के लिए पाड़ाय शिक्षालय शुरू किया जा रहा।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। महामारी कोरोना काल में जहां हर क्षेत्र ही समय समय पर सामान्य हुआ है, अगर कुछ नहीं हुआ है तो वह है छोटे बच्चों का स्कूल। करीब 2 साल से भी अधिक समय के बाद पहली बार बच्चों के लिए पढ़ाई की घंटी बजने जा रही है। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अनुप्रेरणा से शिक्षा विभाग 7 फरवरी से पाड़ाय शिक्षालय शुरू करने जा रहा है। इसके तहत प्री प्राइमरी से लेकर कक्षा पांचवीं तक के छात्रों को खुली जगहों पर पढ़ाया जायेगा। फिजिकल एक्टिविटीज भी करायी जायेंगी। शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने पाड़ाय शिक्षालय योजना की शुरुआत विकास भवन से की। इस मौके पर शिक्षा विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी मनीष जैन व शिक्षा जगत के गण्यमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि महामारी के कारण लंबे समय से स्कूल बंद हैं। पढ़ाई के लिए कई कदम उठाने के बाद भी छात्रों पर असर पड़ रहा है। इसलिए मुख्यमंत्री के निर्देशन में विभिन्न स्कूलों में प्री-प्राइमरी से पांचवीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं के लिए पाड़ाय शिक्षालय शुरू किया जा रहा है। बच्चों के मानसिक विकास, सामाजिक मेलजोल, स्वास्थ्य, शिक्षा, साक्षरता पर भी फोकस रहेगा। एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि निजी स्कूल इस तरह की पहल कर सकते हैं, यह उन पर निर्भर करता है। राज्य सरकार उनके साथ है।
खुली जगह, मैदान, बड़ा हॉल जैसी जगह चुनकर कक्षाएं शुरू होंगी। प्राथमिक शिक्षक, पैरा-शिक्षक और बाल शिक्षा केंद्रों के सहायकों द्वारा कक्षाएं ली जाएंगी। कक्षाएं मुख्य रूप से सरकार और सरकार द्वारा प्रायोजित प्री-प्राइमरी और प्राइमरी स्कूल के छात्रों को लेकर संचालित की जाएंगी।
जानकारी के मुताबिक कक्षा शुरू करने से पहले उस जगह की कोविड की स्थिति देखी जायेगी। किस तरह से कक्षाएं लग रही हैं, इन सभी पर स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी नजर रखेंगे। पंचायतों और नगर पालिकाओं, ग्राम और वार्ड शिक्षा समितियों से आगे आने का आग्रह किया गया। शिक्षा मंत्री को उम्मीद है कि राज्य की यह पहल पूरे देश के लिए मार्गदर्शक बनेगी। यूनिसेफ भी इस पहले में शामिल है।