Move to Jagran APP

West Bengal :इंडियन बोटेनिक गार्डेन के पेड़-पौधों व पक्षियों के लिए काल बना चीनी मांझा

मांझे की चपेट में आकर अब तक कई पक्षियों की हो चुकी है मौत पेड़-पौधों को भी पहुंचा है भारी नुकसान।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 02:06 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 02:11 PM (IST)
West Bengal :इंडियन बोटेनिक गार्डेन के पेड़-पौधों व पक्षियों के लिए काल बना चीनी मांझा
West Bengal :इंडियन बोटेनिक गार्डेन के पेड़-पौधों व पक्षियों के लिए काल बना चीनी मांझा

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। चीनी मांझा (पतंग की डोर) इंडियन बोटेनिक गार्डेन के पेड़-पौधों व उनमें वास करने वाले पक्षियों के लिए काल बन गया है। बेहद तेज धार वाले इस मांझे की चपेट में आकर अब तक कई पक्षियों की मौत हो चुकी है और पेड़-पौधों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। बोटेनिक गार्डेन के उद्भिज विज्ञानी बसंत सिंह ने बताया-'लॉकडाउन के समय आसपास के इलाकों व नदी के उस पार से ढेर सारी पतंगें कट यहां गिरीं। उसके तेज मांझे से कई पक्षियों की जान चली गई। बड़े-बड़े पेड़ों से मांझा जमीन पर लटक रहा है, जिससे पेड़ फंगल इंफेक्शन के शिकार हो रहे हैं।इससे उनके स्वाभाविक पोषण और वृद्धि पर असर पड़ रहा है। कई पेड़ सूख गए हैं। पक्षी अक्सर मांझे की तेज धार से लहूलुहान हो जाते हैं। कईयों के पर कट चुके हैं।

loksabha election banner

बोटेनिक गार्डेन के कर्मचारी प्रतिदिन घूम-घूमकर मांझे को ढूंढते हैं।' इंडियन बोटेनिक गार्डेन के डायरेक्टर कनाद दास ने कहा-'सुप्रीम कोर्ट चीनी मांझे पर प्रतिबंध लगा चुका है। उस आदेश को प्रभावी करने के लिए प्रशासन को कड़ा रुख अख्तियार करना होगा, तभी इस गंभीर समस्या का समाधान हो पाएगा।'

गौरतलब है कि इंडियन बोटेनिक गार्डेन 109 हेक्टेयर से भी अधिक जगह पर फैला हुआ है। यहां पेड़-पौधों की 12,000 से भी अधिक प्रजातियां हैं। इसकी स्थापना सन् 1787 में कर्नल रॉबर्ट किड ने की थी। 25 जून, 2009 को महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु के नाम पर इसका नाम आचार्य जगदीश चंद्र बोस इंडियन बोटेनिक गार्डेन कर दिया गया। यहां मौजूद 250 साल से भी पुराना बरगद का पेड़ पूरी दुनिया में मशहूर है, जिसे 'ग्रेट बनयान ट्री' के नाम से भी जाना जाता है। गार्डेन में पक्षियों की अनगिनत प्रजातियां वास करती हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.