Kolkata Durga Puja: ममता बनर्जी के भाई ने दुर्गा पूजा पर नेताओं के एकाधिकार जमाने की प्रवृत्ति की निंदा की
बिबेक भाषा के संस्करण में बंगाली भाषा में एक लेख शामिल है जिसका शीर्षक है - शारदीय दुर्गोत्सव भोबिश्योत। इसे ममता बनर्जी के भाई कार्तिक बनर्जी ने लिखा है। इसमें उन्होंने सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के उन नेताओं की आलोचना की है जो सामुदायिक पूजा समितियों पर पूर्ण अधिकार जमाते हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Kolkata Durga Puja: बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भाई कार्तिक बनर्जी ने समुदायिक दुर्गा पूजा पर एकाधिकार करने की सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं की प्रवृत्ति की आलोचना की और लोगों से सतर्क रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास एक अधिनायकवादी रूप ले सकते हैं। कार्तिक बनर्जी ने एक लेख (आर्टिकल) में यह बात कहीं।
शारदीय दुर्गोत्सव भोबिश्योत
वह एक ऐसी सामुदायिक दुर्गा पूजा समिति, कालीघाट मिलन संघ के महासचिव भी हैं, जो मुख्यमंत्री के आवास से कुछ ही दूरी पर है। कालीघाट मिलन संघ एक वार्षिक उत्सव पत्रिका बिबेक भाषा निकालती है। बिबेक भाषा के नए संस्करण में बंगाली भाषा में एक लेख शामिल है, जिसका शीर्षक है - शारदीय दुर्गोत्सव भोबिश्योत। इसे ममता बनर्जी के भाई कार्तिक बनर्जी ने लिखा है। इसमें उन्होंने सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के उन नेताओं की आलोचना की है, जो सामुदायिक पूजा समितियों पर पूर्ण अधिकार जमाते हैं।
राज्य में लगभग 45,000 सामुदायिक पूजाएं
लेख में कहा गया, कभी राज्य में लगभग 45,000 सामुदायिक पूजाएं होती थीं, जो विशेष दिनों में सामुदायिक उत्सव का रूप लेती थी। लेकिन बढ़ती लागत के कारण, सामुदायिक पूजाओं की संख्या कम होने लगी। 15 से 16 सामुदायिक पूजा समितियों को मंत्रियों और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं का संरक्षण प्राप्त होने लगा। जिसके चलते नेता इन पर पूर्ण अधिकार जमाने लगे।
उन्होंने राज्य के लोगों से नेताओं और मंत्रियों के इस तरह के एकाधिकार के प्रयासों का विरोध करने के लिए आगे आने का आह्वान किया। लेख में कहा गया है, कुछ नेता और प्रभावशाली नेता लगातार इस महान सामुदायिक उत्सव पर एकाधिकार करने का प्रयास कर रहे हैं। मैं लोगों से सतर्क रहने के लिए कहूंगा। अन्यथा, इस तरह के एकाधिकार के प्रयास एक अधिनायकवादी रूप ले लेंगे।
चूंकि लेख मुख्यमंत्री के भाई ने लिखा है, इसलिए तृणमूल कांग्रेस का एक भी नेता इस मामले में कोई बयान देने को तैयार नहीं है।
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