West Bengal: केंद्र ने डंपिंग यार्ड में जमा कचरे को रिसाइकिल करने की एक परियोजना प्रस्ताव को दी मंजूरी
केंद्र सरकार ने डंपिंग यार्डों में जमा कचरे को रिसाइकिल करने के लिए एक परियोजना प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव के मुताबिक पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग और कलिम्पोंग के दो पहाड़ी शहरों में जमा कचरों को रिसाइकिल कर ईंटों और फूलों के बर्तनों जैसे उत्पाद तैयार करेगी।
दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल), एजेंसी। केंद्र सरकार ने डंपिंग यार्डों में जमा कचरे को रिसाइकिल करने के लिए एक परियोजना प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग और कलिम्पोंग के दो पहाड़ी शहरों में जमा कचरों को रिसाइकिल कर ईंटों और फूलों के बर्तनों जैसे उत्पाद तैयार करेगी।
रिसाइकिल से तैयार की जाएगी कई चीजें
दार्जिलिंग के सांसद राजू बिस्ता ने 21 मार्च को एक बयान में कहा कि यह परियोजना उन्नत तकनीकों के साथ लैंडफिल का मशीनीकरण करना चाहती है, जैसे विरासत (संचित) कचरे का पृथक्करण, प्लास्टिक कचरे का रिसाइकिल, निर्माण और विध्वंस कचरे का उपयोग और बायोडिग्रेडेबल कचरे का प्रसंस्करण।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने आगे कहा कि अलग किए गए कचरे को विभिन्न उपयोगिताओं में परिवर्तित किया जाएगा, जैसे की जैविक कचरे को वर्मीकम्पोस्ट में, प्लास्टिक कचरे को फूलों के बर्तनों में और निर्माण कचरे को ईंटों में बदला जाएगा।
स्वास्थ्य संबंधी खतरों को करेगा कम
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता के मुताबिक, इस कदम से नगरपालिका लैंडफिल साइटों पर काम कर रहे श्रमिकों के स्वास्थ्य संबंधी खतरों को कम करेगा। बता दें कि इस प्रस्ताव को 'भारतीय हिमालयी क्षेत्र में विरासत नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार के लिए एकीकृत वैज्ञानिक समाधान' नाम दिया गया है। बिस्ता ने कहा कि उन्होंने 30 जनवरी को पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर परियोजना की मंजूरी मांगी थी।
1.49 करोड़ रुपये के बजट के साथ मिली मंजूरी
सांसद ने कहा कि दार्जिलिंग और कलिम्पोंग नगर पालिकाओं के लिए परियोजना प्रस्ताव हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी के युवा गोरखा वैज्ञानिक रक्षक कुमार आचार्य द्वारा तैयार किए गए थे। बिस्ता ने कहा कि वह परियोजना का समर्थन करने के लिए दोनों नगर निकायों के अध्यक्ष के पास पहुंचे और दोनों ने इस पर अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।
बिस्ता के पत्र का जवाब देते हुए, भूपेंद्र यादव मे उन्हें 14 मार्च को लिखा कि हिमालयन अध्ययन पर राष्ट्रीय मिशन (NMHS) के समक्ष प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था और इसकी संचालन समिति ने 1.49 करोड़ रुपये के बजट के साथ पूर्व-व्यवहार्यता अध्ययन को मंजूरी दी। उन्होंने कहा, मुझे विश्वास है कि इस परियोजना की सफलता केंद्र और राज्य सरकारों को हमारे हिमालयी क्षेत्र में सभी नगरपालिकाओं में परियोजना को लागू करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।'