सीबीआइ ने मवेशियों की तस्करी मामले में बीएसएफ कमांडेंट व तीन अन्य को किया नामजद, 15 ठिकानों पर छापेमारी
बड़ी कार्रवाई - बंगाल में कई स्थानों के अलावा गाजियाबाद अमृतसर रायपुर और दिल्ली में की गई छापेमारी। कोलकाता में बीएसएफ अधिकारी के घर को किया गया सील। बंगाल में भारत बांग्लादेश सीमा के जरिए तस्करी में शामिल होने का आरोप।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा के जरिए मवेशियों की तस्करी से जुड़े मामले में बीएसएफ की 36वीं बटालियन के तत्कालीन कमांडेंट तथा एक कथित सरगना सहित तीन अन्य को नामजद किया है। इस मामले में सीबीआइ ने बुधवार को सुबह से ही बंगाल में कई स्थानों समेत देश में 15 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की।
सीबीआइ सूत्रों के अनुसार, बंगाल में राजधानी कोलकाता, सिलीगुड़ी, उत्तर 24 परगना और मुर्शिदाबाद जिले के अलावा उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, पंजाब के अमृतसर और छत्तीसगढ़ के रायपुर समेत दिल्ली में भी छापेमारी की गई।
सरगना इनामुल हक और अनारुल और मोहम्मद गुलाम मुस्तफा नामजद
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआइ ने इस मामले में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की 36वीं बटालियन के तत्कालीन कमांडेंट सतीश कुमार तथा मवेशी तस्करी के कथित सरगना इनामुल हक और अन्य व्यक्तियों-अनारुल और मोहम्मद गुलाम मुस्तफा को नामजद किया है।
बंगाल के मालदा जिले का सरगना इनामुल हक मार्च 2018 में गिरफ्तार
कोलकाता के साल्टलेक में कुमार के फ्लैट पर भी छापेमारी की गई और उसे सील कर दिया है। वहीं, बंगाल के मालदा जिले का रहने वाला सरगना इनामुल हक को सीबीआइ ने मार्च 2018 में एक अन्य बीएसएफ कमांडेंट जिबू टी मैथ्यू को रिश्वत देने के आरोप में भी गिरफ्तार किया था जिसे जनवरी 2018 में अलप्पुझा रेलवे स्टेशन से 47 लाख रुपये की नकदी के साथ पकड़ा गया था।
हक की अवैध गतिविधियों व सरकारी अधिकारियों से संबंधों की पड़ताल
एजेंसी ने अप्रैल 2018 में प्रारंभिक जांच के जरिए हक की कथित अवैध गतिविधियों और उन अन्य सरकारी अधिकारियों से उसके संबंधों की पड़ताल शुरू की थी जिन्होंने भारत-बांग्लादेश सीमा पर उसके अवैध करोबार में मदद की। बांग्लादेश से लगती सीमा की रक्षा का दायित्व बीएसएफ के पास है।
दिसंबर 2015 से अप्रैल 2017 तक बंगाल में तैनात थे बीएसएफ अधिकारी
सतीश कुमार दिसंबर 2015 से अप्रैल 2017 तक बंगाल के मालदा जिले में बीएसएफ की दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के अंतर्गत 36वीं बटालियन के कमांडेंट के रूप में पदस्थ थे। उनके अधीन चार कंपनियां मुर्शिदाबाद और दो कंपनियां मालदा में सीमा के पास तैनात थीं।
तस्करी के लिए ले जाई जा रहीं 20 हजार से अधिक गाय की गई बरामद
अधिकारियों ने बताया कि उनकी इस पदस्थापना के दौरान बीएसएफ ने तस्करी के लिए ले जाई जा रहीं 20 हजार से अधिक गाय बरामद कीं, लेकिन गायों की तस्करी की कोशिश में इस्तेमाल किए गए वाहनों और तस्करों को कभी नहीं पकड़ा जा सका।
कागजों पर वजन और आकार छोटा दिखाया, नस्ल के रिकॉर्ड में भी छेड़छाड़
उन्होंने बताया कि तस्करों, सीमा शुल्क और बीएसएफ के कुछ अधिकारियों के बीच गठजोड़ के चलते कागजों पर इन मवेशियों को वजन और आकार के हिसाब से छोटा दिखाया गया तथा उनकी नस्ल के रिकॉर्ड में भी छेड़छाड़ की गई जिससे बरामदगी के तुरंत बाद हुई नीलामी में इनकी कीमत घट गई।
हक, अनारुल और मुस्तफा नीलामी में मवेशियों को कम दाम में खरीदते थे
अधिकारियों ने कहा कि सीबीआइ ने आरोप लगाया है कि हक, अनारुल और मुस्तफा सीमा शुल्क विभाग द्वारा की जाने वाली नीलामी में इन मवेशियों को वापस कम दामों में खरीद लेते थे।
ये भी आरोप-प्रति मवेशी बीएसएफ अधिकारियों को मिलते थे दो हजार रुपये
आरोप में कहा गया है, 'इसके बदले में मोहम्मद इनामुल हक प्रति मवेशी संबंधित बीएसएफ अधिकारियों को दो हजार रुपये और सीमाशुल्क अधिकारियों को 500 रुपये देता था।'
सीमा शुल्क विभाग के अधिकारी नीलाम कीमत से 10 फीसद रिश्वत लेते थे
सीबीआइ ने आरोप लगाया है, ‘इसके अतिरिक्त सीमा शुल्क विभाग के अधिकारी हक, मुस्तफा और अनारुल जैसे सफल बोली लगाने वालों से नीलामी की कुल कीमत की 10 फीसद राशि रिश्वत में लेते थे।’
बोली लगाने वाले लोग बल के अधिकारियों को प्रति मवेशी 50 रुपये देते थे
सीबीआइ ने प्राथमिकी में कहा है कि जब्त मवेशियों को चारा खिलाने के बदले बीएसएफ और सीमा शुल्क विभाग के बीच कोई शुल्क वसूली नहीं हुई, लेकिन सफल बोली लगाने वाले लोग बल के अधिकारियों को प्रति मवेशी 50 रुपये देते थे।
बीएसएफ अधिकारी का बेटा तस्करी के सरगना की कंपनी में नौकरी करता था
एजेंसी ने आरोप में कहा है, ‘कुमार का बेटा मई 2017 से दिसंबर 2017 के बीच पशु तस्करी का सरगना हक द्वारा प्रवर्तित एक कंपनी में नौकरी भी करता था जहां उसे हर महीने 30-40 हजार रुपये मिलते थे। इससे उसके इस अपवित्र गठजोड़ के भागीदारों के साथ घनिष्ठ संबंध का पता चलता है।’
टेरर फंडिंग का खुलासा, तस्करी की आड़ में आतंकियों तक पैसा पहुंच रहा था
इधर, जांच में मवेशियों की तस्करी के जरिए टेरर फंडिंग का भी खुलासा हुआ है। सीबीआइ सूत्रों का कहना है कि तस्करी की आड़ में जेएमबी आतंकियों तक पैसा पहुंच रहा था। आतंकियों के लिए हथियार आदि भी खरीदी जाती थी। इस मामले की भी सीबीआइ पड़ताल कर रही है।