पश्चिम बंगाल में जांच के बढ़ते दायित्व से बेहद दबाव में है सीबीआइ
बंगाल में विभिन्न मामलों की जिस तरह से सीबीआइ जांच के आदेश दिए जा रहे हैं उससे केंद्रीय जांच एजेंसी पर काम का बोझ बढ़ता जा रहा है और वह काफी दबाव में आ गई है। सीबीआइ के अधिकारियों व अधिवक्ताओं के बीच भी तालमेल नहीं बन पा रहा है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में विभिन्न मामलों की जिस तरह से सीबीआइ जांच के आदेश दिए जा रहे हैं, उससे केंद्रीय जांच एजेंसी पर काम का बोझ बढ़ता जा रहा है और वह काफी दबाव में आ गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बढ़ते मामलों के कारण सीबीआइ के अधिकारियों व उनके अधिवक्ताओं के बीच भी तालमेल नहीं बन पा रहा है। इसे देखते हुए सीबीआइ के अतिरिक्त निदेशक अजय भटनागर ने दिल्ली से कोलकाता आकर यहां विभिन्न मामलों की जांच कर रहे अपने अधिकारियों के साथ बैठक की और उन्हें सुझाव दिए। गौरतलब है कि पिछले नौ महीने में बंगाल में 14 मामलों की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंपा गया है, जिनमें एसएससी शिक्षक नियुक्ति घोटाला, बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा, रामपुरहाट नरसंहार कांड, तृणमूल नेता भादू शेख की हत्या, कांग्रेस पार्षद तपन कांदू की हत्या, हांसखाली दुष्कर्म कांड, मालदा के कालियाचक इलाके में मतांतरण की घटना समेत अन्य मामले शामिल हैं। पिछले कुछ समय में दिल्ली से डीएसपी व सुपरिटेंडेंट पद वाले कई सीबीआइ अधिकारी कोलकाता भेजे गए हैं लेकिन इससे केंद्रीय जांच एजेंसी के पूर्वी क्षेत्रीय कार्यालय से काम का बोझ कम नहीं हो पाया है क्योंकि मामलों की तुलना में उनकी जांच करने वाले अधिकारियों की संख्या बहुत कम है। सूत्रों ने बताया कि एक अधिकारी को विभिन्न मामलों की जांच में लगाना पड़ रहा है। अधिकांश मामलों की जांच कलकत्ता हाई कोर्ट की निगरानी में चल रही है इसलिए अदालत को नियमित अंतराल पर जांच की प्रगति की जानकारी देनी पड़ रही है। इस समय सीबीआइ एसएससी से जुड़े मामलों की जांच में सबसे ज्यादा व्यस्त है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने इससे जुड़े सात मामलों की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंपा है। सूत्रों ने आगे बताया कि सीबीआइ के जांच अधिकारियों पर काम का इतना दबाव है कि वे अपने अधिवक्ताओं के साथ भी विभिन्न मामलों पर चर्चा के लिए उचित समय नहीं दे पा रहे हैं। इससे अधिवक्ताओं को भी विभिन्न मामलों में पैरवी करने में दिक्कत हो रही है।