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CBI vs Mamata: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सबूत मिटाने की सोची भी होगी तो उन्हें बहुत पछतावा होगा

सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यह दुख की बात है कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी को राजनीतिक लड़ाई का मोहरा बनाया जा रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 03 Feb 2019 09:20 PM (IST)Updated: Mon, 04 Feb 2019 12:14 PM (IST)
CBI vs Mamata: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सबूत मिटाने की सोची भी होगी तो उन्हें बहुत पछतावा होगा
CBI vs Mamata: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सबूत मिटाने की सोची भी होगी तो उन्हें बहुत पछतावा होगा

नीलू रंजन, नई दिल्ली। कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ करने गए सीबीआइ अधिकारियों को हिरासत में रोके जाने से सकते में आई सीबीआइ सोमवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सूत्र बताते हैं कि देर शाम तेजी से बदलते घटनाक्रम के बाद सीबीआइ में इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा, 'अगर कोलकाता पुलिस कमिश्नर सबूत मिटाने की सोचते भी हैं तो मामला कोर्ट के संज्ञान में लाएं। हम ऐसा काम करेंगे कि उन्हें बहुत पछतावा होगा।'

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इससे पहले सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि कानूनी विशेषज्ञों की सलाह के बाद जल्द ही उचित कार्रवाई होगी। सीबीआइ अधिकारियों की मानें तो सारधा और रोज वैली चिटफंड घोटाले की जांच की जिम्मेदारी अदालत ने ही उसे दी थी। सीबीआइ अब इस घोटाले की तह तक जाने की कोशिश कर रही है। इस सिलसिले में सभी संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है और सुबूतों के आधार पर कई आरोपितों के खिलाफ आरोपपत्र भी दाखिल किया जा चुका है।

कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ की जरूरत के बारे में पूछे जाने पर एक वरिष्ठ सीबीआइ अधिकारी ने कहा कि एसआइटी जांच के दौरान सुबूतों से छेड़छाड़ किये जाने और कुछ हाईप्रोफाइल लोगों को जांच से बचाने के लिए सुबूत नष्ट करने के पर्याप्त प्रमाण हैं। ऐसे में एसआइटी के सभी अधिकारियों से पूछताछ किया जाना जरूरी है। चूंकि राजीव कुमार एसआइटी के प्रमुख थे, इसीलिए उनसे भी पूछताछ की जानी है।

सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यह दुख की बात है कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी को राजनीतिक लड़ाई का मोहरा बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राजीव कुमार से पूछताछ के लिए सीबीआइ की टीम अचानक उनके घर नहीं गई थी। इसके पहले राजीव कुमार को दो समन भेजे गए थे। लेकिन उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया। अब चूंकि ममता बनर्जी ने इसे केंद्र बनाम राज्य सरकार में तब्दील कर दिया है, ऐसे में सीबीआइ के पास न्यायिक हस्तक्षेप के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता है।

संघीय ढांचे के तहत केंद्र सरकार के पास हस्तक्षेप करने के अधिकार सीमित हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी को काम करने से रोका जाना एक तरह से अदालत की अवमानना का भी मामला बनता है, क्योंकि सीबीआइ उसी के आदेश से जांच कर रही है। दूसरी ओर, यह संवैधानिक संकट का भी मामला है।

राज्य सरकारें इस तरह यदि केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारियों को हिरासत में लेना शुरू कर दें, तो भविष्य में किसी भी केस की जांच मुश्किल हो जाएगी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ही संघीय ढांचे के तहत जांच एजेंसी के अधिकारों को स्पष्ट कर सकता है।


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