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Coronavirus: वकील ने जज को दिया कोरोना हो जाने का श्राप, जज ने कहा-मुझे न भविष्य की चिंता और न ही कोरोना का डर

Coronavirus. कलकत्ता हाईकोर्ट में पक्ष में फैसला नहीं सुनाने पर वकील ने जज से कहा कि भगवान करे आपको कोरोना हो जाए। आपका करियर बर्बाद हो जाए।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 07:58 PM (IST)Updated: Tue, 07 Apr 2020 08:50 PM (IST)
Coronavirus: वकील ने जज को दिया कोरोना हो जाने का श्राप, जज ने कहा-मुझे न भविष्य की चिंता और न ही कोरोना का डर
Coronavirus: वकील ने जज को दिया कोरोना हो जाने का श्राप, जज ने कहा-मुझे न भविष्य की चिंता और न ही कोरोना का डर

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कोरोना महामारी की वजह से देशभर में लॉकडाउन चल रहा है। इसी बीच, कोलकाता में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जज ने उनके खिलाफ फैसला सुना दिया तो बिजय अधिकारी नामक एक वकील ने न्यायाधीश दीपंकर दत्ता को कोरोना होने का श्राप दे दिया। उन्होंने कहा- भगवान करे आपको कोरोना हो जाए। अब कोर्ट ने वकील के खिलाफ मानहानि का केस चलाने का आदेश दिया है। कोर्ट का आरोप है कि वकील ने ऐसा करके न्यायालय का अपमान किया है। कलकत्ता हाईकोर्ट में 17 मार्च से सिर्फ महत्पपूर्ण मामलों पर सुनवाई हो रही है। 27 से हाईकोर्ट में वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए अहम मामलों पर सुनवाई की जा रही है।

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मंगलवार को उसी ओपन कोर्ट में जस्टिस दीपंकर दत्ता एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। जब जज ने वकील के मुवक्कील को राहत नहीं दी, तो वह बौखला गए। असल में लोन की किस्त न चुका पाने पर सरकारी बैंक ने बस को नीलाम करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसे बस मालिक ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। वकील चाह रहे थे कि इस नीलामी पर कोर्ट रोक लगा दे। परंतु, पीठ ने ऐसा नहीं किया। इसके बाद उक्त वकील ने कोर्ट में जज को भलाबुरा कहने लगे। उन्होंने कहा- भगवान करे आपको कोरोना हो जाए। आपका करियर बर्बाद हो जाए। जज दीपंकर दत्ता की पीठ ने वकील बिजय अधिकारी के दुर्व्यवहार को कोर्ट की अवमानना माना। जज ने वकील को नोटिस जारी कर दिया।

जज ने नोटिस में लिखा कि न तो मुझे अपने भविष्य की चिंता है और न ही कोरोना का डर। कोर्ट की गरिमा मेरे लिए सर्वोपरि है। आपने उस गरिमा का हनन किया है। इसलिए आप आपराधिक अवमानना के प्रथम दृष्टया आरोपित हैं। जस्टिस दत्ता ने यह भी निर्देश दिया कि इस मामले की सुनवाई एक उपयुक्त डिवीजन बेंच में होनी चाहिए, जो गर्मी की छुट्टी के बाद अदालत को फिर से खुलने पर आपराधिक अवमानना मामलों को सुनने का अधिकार रखती है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुनवाई के दौरान जज आदेश लिखवाने लगे तो यह देखकर वकील को लगा कि अब उसे बोलने का मौका नहीं दिया जाएगा। इसी बात पर वह अपना आपा खो बैठा। उसने पहले टेबल को धक्का दिया और फिर चिल्लाने लगा। इस दौरान कई बार जज ने वकील को रोकने की कोशिश की। कई बार जज ने समझाया कि आप पर अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन, वकील नहीं माने और हंगामा करते रहे। 

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