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कलकत्ता हाईकोर्ट के जज प्रोतिक प्रकाश बनर्जी के निधन पर ममता और राज्यपाल ने जताया दुख

कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस प्रोतिक प्रकाश बनर्जी के असामयिक निधन पर बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गहरा दुख जताया है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 07:14 PM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 10:15 PM (IST)
कलकत्ता हाईकोर्ट के जज प्रोतिक प्रकाश बनर्जी के निधन पर ममता और राज्यपाल ने जताया दुख
कलकत्ता हाईकोर्ट के जज प्रोतिक प्रकाश बनर्जी के निधन पर ममता और राज्यपाल ने जताया दुख

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस प्रोतिक प्रकाश बनर्जी का शुक्रवार सुबह हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वह 51 वर्ष के थे। उनके असामयिक निधन पर बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गहरा दुख जताया है। राज्यपाल ने ट्वीट कर कहा कि माननीय न्यायमूर्ति प्रोतिक प्रकाश बनर्जी के निधन की खबर से बहुत दुखी हूं। कम उम्र में उनका जाना न्यायपालिका और समाज के लिए बड़ी क्षति है। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं। वहीं ममता ने ट्वीट किया, 'कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश और हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष प्रोतिक प्रकाश बनर्जी के निधन की खबर सुनकर हैरान और दुखी हूं। उनके दोस्तों और परिवार के प्रति गहरी संवेदना, जिन्होंने इतना बड़ा नुकसान झेला है।' उल्लेखनीय है कि बनर्जी को सितंबर 2017 में कलकत्ता उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।

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एक न्यायाधीश के रूप में, उन्होंने व्यक्तिगत स्वतंत्रता और लैंगिक समानता को बरकरार रखते हुए निर्णय दिए। बाल देखभाल अवकाश से वंचित करने के मामले में न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा था कि "लोकतांत्रिक संवैधानिकता की प्रामाणिक मांगों के साथ पितृसत्ता असंगत है, इसकी दृढ़ता लोकतंत्र के लिए एक सतत खतरा है।" पिछले साल, उन्होंने कानून के एक सवाल के जवाब में सनसनीखेज सीबीआई बनाम कोलकाता पुलिस मामले में आईपीएस राजीव कुमार को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा देने का आदेश पारित किया था।

इसमें विधि प्रश्न था कि "क्या सीबीआई ऐसे व्यक्ति की हिरासत में पूछताछ कर सकती है, जो अभियुक्त नहीं है?" उन्होंने एक मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो की वैधता के बारे में भी सवाल उठाए थे और मामले को बड़ी पीठ को भेजा था। उन्होंने इस आधार पर एक मामले की सुनवाई करने से भी इनकार कर दिया कि वकील उनके 'फेसबुक मित्र' थे।


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