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कलकत्‍ता हाई कोर्ट ने सुनी एक और कैंसर पीड़िता की नौकरी संबंधी अर्जी, जल्द सुनवाई का आदेश

इसके पहले न्यायमूर्ति गांगुली ने सोमा दास नाम की कैंसर पीड़िता को नौकरी देने का आदेश दिया था जिसके बाद वह शिक्षक की नौकरी पा चुकी हैं। सोमवार जैसे ही कोर्ट खुला और सुनवाई शुरू हुई न्यायालय के समक्ष यह मामला आया। मधुलिका कोर्ट के समक्ष रो पड़ी।

By JagranEdited By: Sumita JaiswalPublished: Mon, 26 Sep 2022 06:29 PM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2022 06:29 PM (IST)
कलकत्‍ता हाई कोर्ट ने सुनी एक और कैंसर पीड़िता की नौकरी संबंधी अर्जी, जल्द सुनवाई का आदेश
कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने सुनी अर्जी। सांकेतिक तस्‍वीर।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली ने नौकरी के लिए आंदोलनरत एक और कैंसर पीड़ित उम्मीदवार की अर्जी सोमवार को सुनी है। उन्होंने जल्द से जल्द नौकरी देने संबंधी अपनी याचिका पर सुनवाई की अर्जी लगाई थी जिस पर जल्द सुनवाई करने का आदेश उन्होंने दिया है।

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 याचिकाकर्ता का नाम मधुलिना है। इसके पहले न्यायमूर्ति गांगुली ने सोमा दास नाम की कैंसर पीड़िता को नौकरी देने का आदेश दिया था जिसके बाद वह शिक्षक की नौकरी पा चुकी हैं। सोमवार जैसे ही कोर्ट खुला और सुनवाई शुरू हुई, न्यायालय के समक्ष यह मामला आया। मधुलिका कोर्ट के समक्ष रो पड़ी। मधुलिका के अधिवक्ता ने बताया कि कैंसर पीड़ित होने के बावजूद लंबे समय से वह आंदोलन कर रही हैं। वह भी तब जब लीगल तरीके से दी गई सभी परीक्षाएं वह पास कर चुकी हैं और मेरिट लिस्ट में हैं। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई आज ही पूरी की जाएगी।

आयुु सीमा को आधार बनाकर दरकिनार कर दी गईं

मधुलिका के अधिवक्ता ने बताया है कि 2016 में उन्होंने प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा दी थी। तब उनकी उम्र 35 साल थी लेकिन बाद में 2021 में जब इसके लिए नियुक्ति शुरू की गई तो उम्र को आधार बता कर उन्हें दरकिनार कर दिया गया। जबकि परीक्षा के समय उनकी आयु सरकार द्वारा तय की गई आयु से दो साल कम थी।

कैंसर पीडि़त एसएससी आंदोलनकारी सोमा दास को मिली थी नौकरी

इससे पहले कैंसर की मरीज एसएससी आंदोलनकारी सोमा दास को नौकरी मिली थी। उन्हें एसएससी में नियुक्ति के लिए सिफारिश की गई थी। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने गाइडलाइंस जारी की थी। उसके बाद ही उन्हें आखिरकार भर्ती की सिफारिश मिली। सोमा दास ने कहा कि वह काम भी करेंगी और आंदोलन के मंच पर भी रहेंगी। स्कूल सेवा आयोग में शिक्षक नियुक्ति में घोटाले को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट में जहां मामला चल रहा है, वहीं उम्मीदवार भी चुप नहीं हैं। बीरभूम के नलहाटी की रहने वाले सोमा एसएससी के लिए पारदर्शी भर्ती की मांग को लेकर कोलकाता में विभिन्न जगहों पर आंदोलन में शामिल हुई हैं। इसी बीच उनके कैंसर की खबर कलकत्ता हाई कोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय तक पहुंच गई। जज ने तुरंत सोमा दास को हाई कोर्ट में तलब किया। कोर्ट में मिलने को कहा। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने उनसे पूछा कि क्या वह कोई अन्य सरकारी नौकरी करने को तैयार हैं। जिस पर सोमा ने सीधे नहीं कह दिया। सोमा दास ने कहा कि मैं एक योग्य उम्मीदवार हूं। मैं अध्यापन करूंगी, और कुछ नहीं। मैं आंदोलन नहीं छोड़ूंगी। अदालत कक्ष में खड़े होकर उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने उन्हें आशा दी है। लड़ाई जारी रहेगी। उसके बाद न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को निर्देश दिया कि वह इस बात पर विचार करें कि क्या आंदोलनकारी सोमा दास को सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया जा सकता है। यदि आवश्यक हो तो न्यायाधीश ने राज्य के सर्वोच्च प्रशासक से बात करके आवश्यक निर्णय लेने का भी अनुरोध किया।


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