कलकत्ता हाई कोर्ट ने ईएफआर के 21 जवानों की हत्या के आरोपितों में से एक को दी सशर्त जमानत
अदालत ने कहा कि आरोपित को जमानत देते समय उसने मृत पुलिसकर्मियों के परिजनों की पीड़ा का भी उतना ही ध्यान रखा है जो अपराधियों की सजा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। न्याययाधीश जयमाल्य बागची की अगुआई वाली एक खंडपीठ ने कथित माओवादी प्रशांत पात्रा को जमानतद दी।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) ने 2010 में माओवादियों द्वारा ईस्टर्न फ्रंटियर राइफल्स (Eastern Frontier Rifles) के 21 जवानों की हत्याके आरोपितों में से एक माओवादी कार्यकर्ता प्रशांत पात्र को सशर्त जमानत दे दी है। आरोपित 12 साल से अधिक समय से न्यायिक हिरासत में है और मानसिक बीमारी से पीडि़त है।
न्यायाधीश जयमाल्य बागची और न्यायाधीश अनन्या बंद्योपाध्याय की खंडपीठ ने कहा कि आरोपित को जमानत देते समय उन मृत पुलिस कर्मियों के परिजनों की पीड़ा का ध्यान रखा गया है, जो अपराधियों की सजा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। आरोपित को जमानत के लिए 50,000 रुपये का निजी मुचलका जमा करना होगा और इतनी ही राशि के साथ दो लोगों को आरोपित का जमानतदार बनना होगा, जिनमें से एक का स्थानीय निवासी होना जरुरी है। जमानत पर रिहा होने के बाद आरोपित को सालबनी पुलिस थाने अधिकार क्षेत्र में रहने होगा और सप्ताह में एक बार थाने में जाकर हाजिरी देनी होगी। उसे अगले आदेश तक सुनवाई की प्रत्येक तारीख पर निचली अदालत में पेश होना होगा। बिना उचित कारण के निचली अदालत में पेश होने में विफल रहने पर आरोपित की जमानत रद की जा सकती है। इससे पहले खंडपीठ ने गत मंगलवार को निर्देश दिया था कि निचली अदालत किसी भी पक्ष को अनावश्यक स्थगन दिए जल्द से जल्द मुकदमे का निपटारा करने के लिए त्वरित कदम उठाए।
जमानत याचिका का विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता ने कहा था कि याचिकाकर्ता माओवादी संगठनका सदस्य है और 21 ईएफआर कर्मियों की हत्या में शामिल है इसलिए उसे जमानत न दी जाए लेकिन अदालत ने प्रशांत पात्र की लंबी न्यायिक हिरासत और मानसिक स्थिति पर गौर करते हुए उसे जमानत दे दी।
गौरतलब है कि फरवरी, 2010 में बंगाल के जंगलमहल क्षेत्र में माओवादियों ने ईएफआर शिविर पर हमला बोलकर 21 जवानों की हत्या कर दी थी।