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कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुवेंदु के करीबी को दी जमानत, सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी के आरोप में हुआ था गिरफ्तार

कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के नजदीकी राखाल बेरा को जमानत दे दी तथा पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया।

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 06:44 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 06:44 PM (IST)
कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुवेंदु के करीबी को दी जमानत, सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी के आरोप में हुआ था गिरफ्तार
सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी के आरोप में हुआ था गिरफ्तार

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के नजदीकी राखाल बेरा को जमानत दे दी तथा पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया। इसके साथ पुलिस को भविष्य में राखाल बेरा के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के लिए अदालत की अनुमति लेनी होगी। राखाल बेरा को राज्य के सिंचाई और जलमार्ग विभाग में नौकरी दिलाने का झांसा देकर लोगों को ठगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

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सोमवार को न्यायाधीश राजशेखर ने मंथा ने कहा कि पुलिस को भविष्य में राखाल बेरा के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के लिए अदालत की अनुमति लेनी होगी। कोर्ट की अनुमति के बिना पुलिस राखाल बेरा के खिलाफ एफआइआर नहीं कर सकेगी। वहीं दूसरी ओर राखाल बेरा के वकील ने अदालत में दावा किया कि उनके मुवक्किल को झूठे मामले में फंसाया गया है। कुछ दिन पहले राखाल बेरा ने पूर्व मेदिनीपुर की कांथी अदालत में चिल्लाकर इच्छा मृत्यु की मांग की थी।

बताते चलें कि कोलकाता के मानिकतल्ला पुलिस स्टेशन में सुजीत दे नाम के व्यक्ति की शिकायत के आधार पर राखाल बेरा को उनके आवास के बाहर से गिरफ्तार किया गया था। सुजीत दे ने अपनी शिकायत में कहा था कि राखाल बेरा ने जुलाई 2019 से सितंबर 2019 के बीच कोलकाता के मानिकतल्ला रोड पर साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के एक फ्लैट के अंदर एक शिविर का आयोजन किया था। शिकायत में कहा गया है कि आरोपितों ने पश्चिम बंगाल सिंचाई और जलमार्ग विभाग के ग्रुप डी (फील्ड स्टाफ) में नौकरी देने का झांसा देकर जनता से काफी धन इकट्ठा किया। शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया था कि आरोपित ने उससे दो लाख रुपये लिए, लेकिन सरकारी नौकरी नहीं दी गई।


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