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कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को दिए जांच का निर्देश

कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा पर राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाया है। अदालत ने इन हिंसा की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक समिति गठित करने का निर्देश दिया है। साथ ही राज्य सरकार को सहयोग करने को कहा है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Fri, 18 Jun 2021 07:51 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jun 2021 07:51 PM (IST)
कलकत्ता हाईकोर्ट ने बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को दिए जांच का निर्देश
हिंसा को लेकर राज्य सरकार की भूमिका की हाई कोर्ट ने की कड़ी आलोचना

राज्य ब्यूरो, कोलकाता: पहले तो राज्य सरकार लगे आरोपों को मान ही नहीं रही, लेकिन हमारे पास कई घटनाओं की जानकारी और सबूत हैं। इस तरह के आरोपों को लेकर राज्य सरकार चुप नहीं रह सकती। कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को यह टिप्पणी करते हुए बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा पर राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाया है। अदालत ने इन हिंसा की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक समिति गठित करने का निर्देश दिया है। साथ ही राज्य सरकार को उस समिति का सहयोग करने को कहा है।

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बंगाल चुनाव नतीजे आने के बाद हुई हिंसा को लेकर हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर पांच जजों की पीठ में शुक्रवार को सुनवाई हुई। इसके बाद पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोग जिस तरह से काम कर रहे हैं, उससे हम खुश नहीं हैं। चुनाव खत्म हो गया है। सभी लोगों को शांति से जीने का अधिकार है। यह देखना राज्य का काम है। राज्य शुरू से ही हर बात को नकारता रहा है। लेकिन राज्य कानूनी सहायता सेवा की रिपोर्ट कुछ और कहती है। जस्टिस हरीश टंडन ने कहा कि आप (राज्य) कहते हैं कि कार्रवाई की गई है। परंतु,कार्रवाई किसके खिलाफ की गई यह स्पष्ट नहीं है।

हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने कहा कि चुनाव बाद देखा जा रहा है कि लोगों की भीड़ जुटाई जाती है और वे कहते हैं कि आगे जो किया वह गलत किया। अब हम इसे ठीक करना चाहते हैं। मैंने ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा। पुलिस वह नहीं कर रही है जो उन्हें कानून के अनुसार करना चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इसलिए वह(राज्य सरकार) अपने खिलाफ आरोपों को स्वीकार नहीं कर रहे थे। लेकिन हम हमारे सामने कई घटनाओं के सबूत हैं। यातना केवल शारीरिक नहीं है। लोगों को नौकरी के अवसरों से वंचित करना भी बुनियादी अधिकारों से वंचित करना है।

इसके बाद हाई कोर्ट ने ने निर्देश दिया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक समिति बनाए और जांच करे। राज्य को उस समिति के लिए हर संभव व्यवस्था करनी है। नहीं तो कोर्ट मामले पर गहराई से विचार करेगी। कमेटी आरोपों की जांच के बाद रिपोर्ट देगी। राज्य की कानूनी सहायता सेवा के सदस्यों के समक्ष 3243 बेघर लोगों ने घर लौटने के लिए आवेदन किया है। हाई कोर्ट की इस बड़ी पीठ ने राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोग को कहा है कि इनके सदस्यों के सामने वे लोग अपने घर लौटेंगे। मामले पर अगली सुनवाई 30 जून को होगी। यहां बताते चलें कि गुरुवार को भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिंसा को सिरे से खारिज करते हुए केंद्र सरकार और राज्यपाल को ही भलाबुरा कहा था।


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