वाद स्थानांतरण में पत्नी की सुविधा को ध्यान में रखा जाना चाहिए : हाईकोर्ट
जागरण संवाददाता कोलकाता कलकत्ता हाईकोर्ट ने वैवाहिक वाद और नाबालिग बच्चे के संरक्षण से ज
-यात्रा का खर्च वहन करना संभव नहीं, माता-पिता पर निर्भर है महिला
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जागरण संवाददाता, कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने वैवाहिक वाद और नाबालिग बच्चे के संरक्षण से जुड़े वाद को इस आधार पर स्थानांतरित करने के निर्देश दिए है कि सुनवाई के स्थान के बारे में निर्णय लेते समय पत्नी की सुविधा को मुख्य रूप से ध्यान में रखा जाना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि जब आवेदन किसी नाबालिग के संरक्षण से जुड़ा हो तो उसे वहा दायर करना चाहिए, जिसके प्रादेशिक अधिकार क्षेत्र में नाबालिग आमतौर पर रह रहा हो। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने जलपाईगुड़ी से इस वाद को दुर्गापुर स्थानांतरित करने का आदेश देते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने अनेक फैसलों में कहा है कि विवाह से जुड़े वाद को सुनवाई को लिए स्थानांतरित करने की कार्रवाई में पत्नी को हो रही असुविधा पर पहले विचार किया जाना चाहिए। वाद स्थानांतरण के लिए पत्नी की याचिका पर सुनवाई करने हुए न्यायमूर्ति चौधरी ने अपनी टिप्पणी में कहा कि याचिकाकर्ता ने कहा है कि दुर्गापुर और जलपाईगुड़ी के बीच की दूरी 600 किलोमीटर से अधिक है और वाद के निपटारे के लिए यात्रा का खर्च वहन करना उसके लिए संभव नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील उदय शंकर ने दावा किया कि पति द्वारा 2017 में कथित रूप से परित्याग किये जाने के बाद से महिला दुर्गापुर में अपने मायके में 13 वर्षीय बच्चे के साथ रही है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि महिला के आय का कोई साधन नहीं हैं। वह पूरी तरह अपने माता-पिता पर निर्भर है। ऐसी परिस्थिति में याचिकाकर्ता को निश्चित रूप से जलपाईगुड़ी की यात्रा करने में असुविधा का सामना करना पड़ेगा। दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति चौधरी ने यह निर्देश दिया।