राज्य में फैमिली कोर्ट नहीं होने पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
-कोलकाता के अलावा अन्य किसी जिले में नहीं है फैमिली कोर्ट -मामले को एक महीने के भीतर निपटा
-कोलकाता के अलावा अन्य किसी जिले में नहीं है फैमिली कोर्ट
-मामले को एक महीने के भीतर निपटारा करने का दिया निर्देश
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जागरण संवाददाता, कोलकाता : राज्य में फैमिली कोर्ट नहीं होने पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। अपने बेटे से मिलने के लिए एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन व न्यायाधीश अरिजीत बंद्योपाध्याय की खंडपीठ ने सवाल किया कि क्या राज्य में कोई फैमिली कोर्ट नहीं है? खंडपीठ का कहना था कि राज्य में परिवार संबंधी इतने मामले दायर होते हैं, फैमिली कोर्ट रहने की स्थिति में उनका जल्द निबटारा हो सकता है। दूसरे राज्यों में फैमिली कोर्ट हैं तो बंगाल इसका अपवाद क्यों है? इसके साथ ही खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को हावड़ा जिला अदालत में याचिका दायर करने के लिए कहा। साथ ही मामले के जल्द निपटारे के लिए जिला अदालत को एक महीने का वक्त दिया है। अदालत सूत्रों के मुताबिक केवल कोलकाता नगर दायरा अदालत में फैमिली कोर्ट या पारिवारिक अदालत है। अन्य जिलों में यह नहीं है, जिससे अन्य जिलों के लोगों को समस्या होती है। दरअसल, मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में एक पारिवारिक मामले की सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील शुभाशीष दासगुप्ता ने कहा कि हावड़ा के रहनेवाले एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के साथ एक स्कूल शिक्षिका की शादी 12 वर्ष पहले हुई थी। हालाकि पारिवारिक कलह की वजह से दोनों एकसाथ नहीं रहते। 2017 से उक्त सॉफ्टवेयर इंजीनियर घर से बाहर रहने को मजबूर है। इतने वषरें से वह घर का ऋण भी चुका रहा है, लेकिन उसे अपने बेटे से मिलने नहीं दिया जा रहा है। बेटे से मिलने के लिए उसने अदालत में याचिका दायर की है।