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एमडी करने के बाद डॉक्टरों को तीन साल ग्रामीण क्षेत्रों में देनी होगी सेवा

पश्चिम बंगाल में एमडी (डॉक्टर ऑफ मेडिसीन) की डिग्री हासिल करने वाले डॉक्टरों को तीन साल ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देनी ही होगी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 11:02 AM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 11:02 AM (IST)
एमडी करने के बाद डॉक्टरों को तीन साल ग्रामीण क्षेत्रों में देनी होगी सेवा
एमडी करने के बाद डॉक्टरों को तीन साल ग्रामीण क्षेत्रों में देनी होगी सेवा

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : पश्चिम बंगाल में एमडी (डॉक्टर ऑफ मेडिसीन) की डिग्री हासिल करने वाले डॉक्टरों को तीन साल ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देनी ही होगी। कलकत्ता हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले को रद करते हुए राज्य सरकार की ओर से 2014 में जारी अधिसूचना पर मुहर लगा दी है। राज्य सरकार ने एमडी डिग्री प्राप्त करने वाले डाक्टरों के लिए तीन साल ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा को अनिवार्य किया था। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार के फैसले पर मुहर लगाते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि एमडी पास करने के बाद डॉक्टरों को तीन साल ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देनी ही होगी।

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इससे पहले राज्य सरकार की ओर से एमडी डॉक्टरों की अनिवार्य सेवा को लेकर जो अधिसूचना जारी की गई थी, उसे हाईकोर्ट की एकल पीठ ने असंवैधानिक करार दिया था।

गौरतलब है कि जुलाई, 2013 में बंगाल सरकार ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें एमडी पास डॉक्टरों के लिए एक साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने को अनिवार्य किया गया था। उसमें यह भी कहा गया था कि जो डॉक्टर इसे अस्वीकार करेंगे, उन्हें 10 लाख रुपये का बांड देना होगा।

इस बीच 2014 में राज्य सरकार ने संशोधित अधिसूचना जारी की, जिसमें एमडी डॉक्टरों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा देने की अवधि को बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया। साथ ही कहा गया कि जो डॉक्टर सेवा देने से इन्कार करेंगे, उन्हें 30 लाख रुपये का बांड देना होगा।

कुछ डॉक्टर संगठनों ने राज्य सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट के न्यायाधीश इंद्रप्रसन्न बनर्जी की एकल पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की 2014 की अधिसूचना को असंवैधानिक करार दिया।

इसके बाद राज्य सरकार ने एकल पीठ के फैसले को हाईकोर्ट की खंडपीठ में चुनौती दी।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि एमडी की पढ़ाई करने वाले छात्रों पर सरकार काफी रुपये खर्च करती है। अगर वे सेवा नहीं देंगे तो सरकार बांड के जरिए उनसे रुपये वसूलेगी। वहीं, डॉक्टरों की ओर से उनके अधिवक्ता प्रतीकधर व शक्तिपद मुखोपाध्याय ने कहा कि राज्य सरकार बांड के माध्यम से डॉक्टरों की उच्च शिक्षा को ही बंद करना चाहती है।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार के निर्णय को बरकरार रखते हुए निर्देश दिया कि डॉक्टरों को तीन वर्षो तक ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देनी ही होगी।


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