बेटा तीन लाख तो 70 हजार में बेची जाती थी बेटी, गर्भपात व बच्चों के खरीद फरोख्त का पर्दाफाश
बादुडि़या नर्सिग होम कांड की तरह ही अशोकनगर के वर्नानी नर्सिग होम से भी नवजातों की तस्करी के खेल का खुलासा होने के बाद शासन प्रशासन में हड़कंप मच गया।
संवाद सूत्र, अशोकनगर। बादुडि़या नर्सिग होम कांड की तरह ही अशोकनगर के वर्नानी नर्सिग होम से भी नवजातों की तस्करी के खेल का खुलासा होने के बाद शासन प्रशासन में हड़कंप मच गया। यहां पर नवजात लड़कों को तीन लाख तो कन्याओं को 70 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक में बेचा जाता था। इतना ही नहीं ग्राहक के हैसियत के मुताबिक बच्चों की कीमत भी तय की जाती थी।
उधर, पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। बता दें कि अशोकनगर की रहने वाली दीपा चंद बनीक नाम की एक महिला 11 दिन की बीमार बच्ची को लेकर हाबरा स्टेट जनरल अस्पताल पहुंची थी। डाक्टर ने बच्ची के जन्म से जुड़े कागजात मांगे तो वह बगले झांकने लगी थी। इसके बाद जब डाक्टर ने जब बच्ची की बीमारी के बाबत पूछताछ की तो वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई थी।
संदेह होने पर डाक्टर ने इसकी जानकारी चिकित्सा अधीक्षक को दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने महिला से पूछताछ की तो वर्नानी नर्सिंग होम से नवजात बच्ची को खरीदने का खुलासा हुआ था। हरकत में आई हाबरा थाना पुलिस ने वर्नानी नर्सिंग होम की मालकिन रंजीता राय, उसके सहयोगी झोलाछाप मनोज विश्र्वास और केयरटेकर रंजीत दे से सख्ती से पूछताछ की तो पूरे मामले का खुलासा हो गया। इसके बाद उक्त तीनों समेत पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया था।
पूछताछ में खुलासा हुआ की उक्त नर्सिंग होम में गैरकानूनी तरीके से गर्भपात व बच्चों की खरीद फरोख्त का खेल चलता था। नवजात लड़के को तीन लाख तो कन्या को 70 हजार से डेढ़ लाख रुपये तक में बेचा जाता था। झोलाछाप मनोज विश्र्वास इस खेल का मास्टर माइंड था।
अनचाहे गर्भ से मुक्ति पाने के लिए महिलाएं यहां अपने बच्चों को बेचा करती थी। नवजातों की खरीद फरोख्त के बीच संपर्क का काम नर्सिग होम से जुड़े लोग करते थे। इसके एवज में उन्हें मोटी रकम मिलती थी। पुलिस के अनुसार अभी जांच चल रही है। मामले की तह में जाने के लिए अभी वक्त लगेगा।