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बीएसएफ ने सीमा पर दुर्लभ प्रजाति के 20 कबूतरों को तस्करी से बचाया, एक बांग्लादेशी तस्कर भी गिरफ्तार

बीएसएफ की 153वीं वाहिनी ने उत्तर 24 परगना जिले में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास एक बार फिर वन्य जीवों की तस्करी को नाकाम करते हुए दुर्लभ प्रजाति के 20 कबूतरों को तस्करों के चंगुल से बचाया है।

By Priti JhaEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 03:02 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 03:02 PM (IST)
बीएसएफ ने सीमा पर दुर्लभ प्रजाति के 20 कबूतरों को तस्करी से बचाया, एक बांग्लादेशी तस्कर भी गिरफ्तार
बीएसएफ कमांडेंट जवाहर सिंह नेगी, तस्करी से बचाए कबूतर व गिरफ्तार तस्कर के साथ बीएसएफ।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता । दक्षिण बंगाल सीमांत क्षेत्र से मवेशियों व अन्य सामानों की तस्करी पर अंकुश लगने के बाद अब तस्कर वन्यजीव पक्षियों की बांग्लादेश से भारत में आए दिन तस्करी की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के सतर्क जवान लगातार उनके मंसूबे पर पानी फेर रहे हैं।

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बीएसएफ की 153वीं वाहिनी ने उत्तर 24 परगना जिले में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास एक बार फिर वन्य जीवों की तस्करी को नाकाम करते हुए दुर्लभ प्रजाति के 20 कबूतरों को तस्करों के चंगुल से बचाया है। इन कबूतरों को रात के अंधेरे में सीमा चौकी दोबिला के सीमावर्ती इलाके से होकर बांग्लादेश से भारत में तस्करी के उद्देश्य से लाने की कोशिश की जा रही थी।

सतर्क जवानों ने कबूतर के साथ एक बांग्लादेशी तस्कर को भी गिरफ्तार किया है। बीएसएफ अधिकारियों ने बताया कि एक खुफिया सूचना के आधार पर शनिवार देर रात विशेष घात लगाकर इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया। पकड़ा गया तस्कर पहले भी विभिन्न प्रकार के सामानों की तस्करी में शामिल रहा है। 153वीं वाहिनी के कमांडेंट जवाहर सिंह नेगी ने बताया कि 24 जुलाई, शनिवार रात लगभग 11:17 बजे पक्षियों की तस्करी के बारे में खुफिया सूचना प्राप्त हुई। इसके बाद कंपनी कमांडर को तुरंत निर्देशित कर सीमा चौकी दोबिला के संदिग्ध इलाके में विशेष घात (एम्बुश) लगाया गया।

रात लगभग 2:50 बजे एम्बुश दल ने दो संदिग्ध व्यक्तियों (तस्कर) की हरकतें देखी जो अंतरराष्ट्रीय सीमा क्रॉस कर भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे।जब एम्बुश पार्टी ने चुनौती दी, तो वे तस्करों ने वापस बांग्लादेश की तरफ भागने की कोशिश की। लेकिन जवानों ने पीछा करके अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास तीन प्लास्टिक के बैग के साथ एक तस्कर को पकड़ लिया जबकि एक तस्कर अंधेरे व पानी का फायदा उठाकर भागने में सफल रहा। जब्त तीनों बैग को खोलने पर उसमें से 20 कबूतर मिला। बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि आमतौर पर ये कबूतर इधर नहीं देखे जाते हैं, इसीलिए यह दुर्लभ किस्म का है।

पकड़े गए बांग्लादेशी तस्कर ने कई तस्करों के नामों का किया खुलासा

गिरफ्तार तस्कर का नाम असदुल इस्लाम मोल्ला (26) है। वह बांग्लादेश के सतखीरा जिले का रहने वाला है। पूछताछ में उसने बांग्लादेश व भारत के कई तस्करों के नामों का खुलासा किया है। उसने बीएसएफ को बताया कि वह सतखीरा जिले के ही रहने वाले तस्कर आलमगीर सासा (35) के लिए वाहक के रूप में काम करता है। इन कबूतरों को वह सीमा पार करा कर इसे उत्तर 24 परगना जिले के दोबिला गांव के रहने वाले तस्कर रामानंद सरकार (32) को सौंपने वाला था। इस खेप की सफल डिलीवरी के बाद उसे 1000 रुपये मिलता।

उन्होंने यह भी खुलासा किया कि वह दोबिला गांव के रहने वाले दो अन्य व्यक्ति सुवेंदु राय और राकेश तरफदार के लिए भी वाहक के रूप में काम करते है‌। साथ ही बताया कि वह पिछले दो साल से तस्करी में लिप्त है। इधर, बीएसएफ ने आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए गिरफ्तार तस्कर को स्वरूप नगर थाने के हवाले कर दिया है। वहीं, बचाए गए सभी पक्षियों को कस्टम कार्यालय के माध्यम से अलीपुर चिड़ियाघर, कोलकाता को सौंपा जा रहा है।

बीएसएफ कमांडेंट ने जवानों की थपथपाई पीठ

इधर, 153वीं वाहिनी के कमांडेंट जवाहर सिंह नेगी ने दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों को तस्करी से बचाने की अपने जवानों की इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए उनकी पीठ थपथपाई। उन्होंने कहा कि यह केवल ड्यूटी पर तैनात उनके जवानों द्वारा प्रदर्शित सतर्कता के कारण ही संभव हो सका है। उन्होंने आगे बताया कि महानिरीक्षक, दक्षिण बंगाल फ्रंटियर, बीएसएफ कोलकाता द्वारा शुरू किए गए अभियान के तहत सीमा पर होने वाले अपराधों के प्रति 'शून्य तस्करी' के संकल्प को पूरा करने के लिए उनके जवान पूरी तरह से दृढ़ और प्रतिबद्ध हैं। 


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