मवेशियों की तस्करी में 90 फीसद तक की आई कमी : बीएसएफ
बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर (बीएसएफ) की सख्ती व तस्करों के खिलाफ लगातार चलाए गए अभियान के फलस्वरूप मवेशियों की तस्करी में भारी कमी आई है।
जागरण संवाददाता, कोलकाता : बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा पर (बीएसएफ) की सख्ती व तस्करों के खिलाफ लगातार चलाए गए अभियान के फलस्वरूप मवेशियों की तस्करी में भारी कमी आई है। बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के डीआइजी एसएस गुलेरिया ने शुक्रवार को दावा किया कि उनके क्षेत्र में मवेशियों की तस्करी 90 फीसद तक कम हो गई है। राजरहाट स्थित फ्रंटियर मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने बताया कि अब चोरी-छिपे इक्का-दुक्का ही पशुओं की तस्करी हो रही है, जिसके लिए बॉर्डर के जटिल हालात जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि पशु तस्करी रोकने के लिए हमने अपनी कोशिशों में भी बदलाव लाया है। सीमा तक पशु नहीं पहुंचे इसके लिए चिन्हित रूटों व जहां से यह भेजी जाती है वहीं पर इसको रोकने के कदम उठाए गए हैं। बॉर्डर इलाके में रहने वाले लोगों में भी हमने जागरूकता लाई है और पुलिस के साथ मिलकर भी लगातार अभियान चला रहे हैं। उन्होंने बताया कि साल 2019 में बीएसएफ ने 31,210 मवेशियों को पकड़ा, जिसे बांग्लादेश में तस्करी की कोशिश की जा रही थी। 2018 में 39,965 मवेशियों को जब्त किया था। उन्होंने बताया कि पहले जहां दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के क्षेत्र से बड़े पैमाने पर तस्करी होती थी, उसपर अंकुश लगाने के बाद पशु तस्कर अब दूसरे रूटों का रूख कर गए है। उत्तर बंगाल और असम के रास्ते अब तस्करी हो रही है।
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मादक पदार्थो की तस्करी बढ़ी
बीएसएफ की सख्ती के बाद एक तरफ मवेशियों व अन्य प्रतिबंधित सामानों की अंतरराष्ट्रीय सीमा के जरिए तस्करी जहां कम हुई है, वहीं दूसरी ओर मादक पदार्थो खासकर याबा टैब्लेट की तस्करी में काफी इजाफा हुआ है। डीआइजी गुलेरिया ने बताया कि यह हमारे लिए चिंताजनक है और इसे रोकने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। 2019 में बीएसएफ ने 42 हजार याबा टैबलेट व 1015 किलो गांजा जब्त किया। इस महीने अब तक 10 हजार से ज्यादा याबा टैब्लेट जब्त किया जा चुका है।
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