अपने तो अपने होते हैं...भाई-बहन ने किडनी व लीवर दान कर बचाई बड़े भाई की जान, पूर्वी भारत में पहली बार एक साथ प्रत्यारोपण
अपने तो अपने होते हैं-इस उक्ति को एक भाई-बहन ने फिर चरितार्थ किया है। कोलकाता के आरएन टैगोर अस्पताल में हुआ अंग प्रत्यारोपण। पूर्वी भारत में पहली बार किसी व्यक्ति में किडनी व लीवर का एक साथ प्रत्यारोपण।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : अपने तो अपने होते हैं-इस उक्ति को एक भाई-बहन ने फिर चरितार्थ किया है। एक ने अपनी किडनी तो दूसरे ने लीवर का हिस्सा दान कर बड़े भाई की जान बचाई। कोलकाता के आरएन टैगोर अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण हुआ। पूर्वी भारत में पहली बार किसी व्यक्ति में किडनी व लीवर का एक साथ प्रत्यारोपण किया गया है।
पिछले साल जनवरी से डायलिसिस चल रही थी
मिजोरम के आइजोल के रहने वाले 44 साल के लालरिमघेटा को किडनी की समस्या लेकर आरएन टैगोर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पिछले साल जनवरी से उनकी डायलिसिस चल रही थी। छह महीने पहले उनके लीवर में भी समस्या आ गई थी। डॉक्टरों ने कह दिया था कि हाथ में सिर्फ सात दिनों का समय है। इतने समय में अगर किडनी व लीवर का प्रत्यारोपण नहीं किया गया तो उनकी जान चली जाएगी।
लालरिमघेटा के भाई-बहन शांतिदूत बन आगे आए
यह सुनकर लालरिमघेटा के भाई-बहन आगे आए और अपनी किडनी और लीवर दान करने की इच्छा जताई। भाई लालरिनपुइया ने अपनी एक किडनी और बहन लालरिनवामी ने अपना लीवर दान किया। डॉक्टर डीएस रॉय, डॉक्टर एनपी बहिजार और डॉक्टर संजय गजार ने गत मंगलवार को करीब 18 घंटे ऑपरेशन कर सफलतापूर्वक किडनी व लीवर का प्रत्यारोपण किया।
बहन बोली-कुछ कर पाई, सोचकर अच्छा लग रहा है
लालरिनघेटा सरकारी कर्मचारी हैं। भाई लालरिनपुइया ने बताया-'हमने बहुत कम उम्र में माता-पिता को खो दिया था। भैया ने हमें पाला है। वे हमारे लिए पिता समान हैं इसलिए उन्हें किडनी दान करने को लेकर मैंने दूसरी बार सोचा तक नहीं।' बहन लालरिनवामी ने कहा-'हमें नहीं पता था कि भैया की बीमारी इतनी गंभीर हालत में पहुंच गई है। पिता समान भैया को बचाने के लिए कुछ कर पाई,यह सोचकर ही काफी अच्छा लग रहा है।'