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भाजपा विधायक ने नड्डा को लिखा पत्र, दार्जिलिंग को बंगाल से अलग करने की मांग

विष्णु प्रसाद शर्मा ने जेपी नड्डा को पत्र लिखकर दार्जिलिंग को बंगाल से अलग करने की मांग की है। शर्मा ने दावा किया कि राज्य के लोग बंगाल का हिस्सा नहीं रहना चाहते और पर्वतीय क्षेत्र में राज्य दर्जे को लेकर कई हिंसक आंदोलन हुए हैं।

By Babita KashyapEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 10:24 AM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 10:24 AM (IST)
भाजपा विधायक ने नड्डा को लिखा पत्र, दार्जिलिंग को बंगाल से अलग करने की मांग
विष्णु प्रसाद शर्मा ने जेपी नड्डा को पत्र लिखकर दार्जिलिंग को बंगाल से अलग करने की मांग की है।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कर्सियांग से भाजपा विधायक विष्णु प्रसाद शर्मा ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर दार्जिलिंग को बंगाल से अलग करने की मांग की है। केंद्रीय मंत्री पद की शपथ लेने से पहले अलीपुरद्वार से भाजपा सांसद जान बारला ने भी इस मुद्दे को उठाया था। विधायक विष्णु प्रसाद शर्मा ने अपने पत्र में नड्डा को पर्ववतीय क्षेत्र के लिए एक स्थाई राजनीतिक समाधान खोजने के शीर्ष नेतृत्व के वादे को याद दिलाने का प्रयास किया।

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बारला ने वर्ष की शुरुआत में उत्तर बंगाल के जिलों के लिए एक केंद्र शासित प्रदेश की मांग की थी, जिससे राज्य में एक बहस छिड़ गई थी। इसके बाद पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भाजपा पर अलगाववाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। शर्मा ने दावा किया कि राज्य के लोग बंगाल का हिस्सा नहीं रहना चाहते और पर्वतीय क्षेत्र में राज्य दर्जे को लेकर कई हिंसक आंदोलन हुए हैं। शर्मा ने सोमवार को कहा कि हां, मैंने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर उनसे 2019 के लोकसभा चुनावों और 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान किए गए एक स्थायी राजनीतिक समाधान के वादे का सम्मान करने का अनुरोध किया है।

यह उस वादे के कारण है कि पर्वतीय क्षेत्र के लोगों ने 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद से भाजपा को वोट दिया है। उन्होंने कहा कि उनके लिए स्थाई राजनीतिक समाधान का मतलब बंगाल के चंगुल से मुक्ति है-चाहे वह अलग राज्य के तौर पर हो या केंद्र शासित प्रदेश। यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य के भाजपा नेताओं की सोच भी उनके जैसी ही है, तो इस पर शर्मा ने कहा कि इस मांग का पार्टी की बंगाल इकाई से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, केंद्र और पर्वतीय क्षेत्र के हितधारकों को बैठकर तय करना है कि क्या किया जा सकता है। मैंने इस संदर्भ में अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखा है।

सत्तारूढ़ टीएमसी ने हालांकि, दार्जिलिंग को बंगाल से अलग करने की संभावना से इन्कार किया और विधायक के बयान को ‘अवास्तविक’ बताया। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि बंगाल को विभाजित करने का कोई सवाल ही नहीं है। भाजपा अलगाववाद को बढ़ावा देने और राजनीतिक कारणों से बंगाल के विभाजन की साजिश रच रही है, लेकिन हम ऐसा कभी नहीं होने देंगे। वहीं, टीएमसी नेता कृष्णु मित्रा ने जानना चाहा कि क्या भाजपा की बंगाल इकाई शर्मा के विचारों का समर्थन करती है।

मित्रा ने ट्वीट किया कि क्या भाजपा की बंगाल इकाई का नेतृत्व कर्सियांग से अपने विधायक बिष्णु प्रसाद शर्मा की बंगाल के विघटन और एक अलग राज्य के निर्माण की मांग का समर्थन करता है? यदि नहीं, तो क्या भाजपा उन्हें निष्कासित करेगी? बंगाल भाजपा नेतृत्व ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया, लेकिन कहा कि यह राज्य के किसी भी विभाजन के खिलाफ है। भाजपा के एक नेता ने कहा कि हमें किसी पत्र की जानकारी नहीं है, लेकिन हम राज्य के किसी भी बंटवारे के खिलाफ हैं।’ गोरखालैंड की मांग पहली बार 1980 के दशक में की गई थी, जब सुभाष घीसिंग के नेतृत्व वाले जीएनएलएफ ने 1986 में एक हिंसक आंदोलन शुरू किया था, जो 43 दिनों तक चला था। इसके चलते सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। इस आंदोलन के कारण 1988 में दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल का गठन हुआ था।


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