बंगाल में मजबूत उम्मीदवारों की तलाश में भाजपा नेतृत्व, बारीकी से कर रही अध्ययन
मिशन बंगाल साधने के लिए भाजपा ने चार लोगों की एक टीम भी लगा रखी है जो एक-एक सीट का बारीकी से अध्ययन कर रही है। पार्टी स्थानीय नेताओं को जोड़कर राज्य में अपने संगठन को मजबूत करने की कोशिश में है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बिहार विधानसभा और देश के विभिन्न हिस्सों में हुए उपचुनाव में मिली जीत ने बंगाल के विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का काम तो किया है, लेकिन अब इसे जमीन पर बनाने की बड़ी चुनौती है। दरअसल, भाजपा के पास पूरे राज्य में हर सीट पर मजबूत उम्मीदवार खड़ा करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। पिछले सालों में भी भाजपा में विभिन्न दलों से कई नेता टूट कर आए हैं और विधानसभा चुनाव के पहले वह इस कवायद को और बढ़ाना चाहती है।
भाजपा नेतृत्व अगले साल होने वाले बंगाल विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के लिए मजबूत उम्मीदवारों की तलाश में जुट गया है। इसके लिए पार्टी की नजर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और वामपंथी दलों के स्थानीय नेताओं पर है जो अपने दलों में असंतुष्ट हैं। पार्टी ऐसे नेताओं को जोड़कर राज्य में अपने संगठन को मजबूत करने के साथ विरोधी दलों को भी कमजोर करने की कोशिश करेगी। मिशन बंगाल साधने के लिए भाजपा ने चार लोगों की एक टीम भी लगा रखी है, जो एक-एक सीट का बारीकी से अध्ययन कर रही है।
हालांकि रणनीतिकारों का मानना है कि भाजपा को चुनाव मैदान की बड़ी चुनौती है और उसे ऐसे प्रभावी नेता चाहिए जो बूथ प्रबंधन से लेकर विरोधी पक्ष से के सामने मजबूती से टिक सके। इसके लिए उसकी रणनीति काफी हद तक दूसरे दलों से आने वाले नेताओं पर भी टिकी हुई है। इस रणनीति में बंगाल के प्रभारी भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय संगठन के संयुक्त मंत्री शिव प्रकाश, प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय की टीम एक एक विधानसभा सीट का बारीकी से आकलन कर रही है। वह वहां के जातीय व सामाजिक समीकरणों के साथ प्रभावी नेताओं पर भी नजर रख रही है। सूत्रों के अनुसार, तृणमूल, कांग्रेस और वामपंथी दलों के कई नेता स्थानीय स्तर पर भाजपा के संपर्क में भी आए हैं। जल्दी ही इनमें से कुछ नेताओं को भाजपा में शामिल भी किया जा सकता है।