देशी शराब के नामकरण को लेकर भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी सरकार को घेरा
इससे पहले बीते 17 नवंबर को बंगाल विधानसभा में शराब की कीमतों में कमी को लेकर जमकर हंगामा हुआ था। मुख्य विरोधी दल भाजपा के विधायकों ने राज्य सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए सदन से वाकआउट तक किया था।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता व नंदीग्राम से भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी ने देशी शराब के नामकरण को लेकर ममता सरकार पर निशाना साधते हुए निंदा की है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने देशी शराब को झुमुर के रूप में चिन्हित किया है और इस नाम से बाजार में यह शराब बेची जा रही है। उन्होंने राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि बाजार पर कब्जा करने के लिए राज्य सरकार इतनी व्यस्त है कि उसने शराब के एक हिस्से को ब्रांड करने से पहले जंगलमहल के लोगों की भावनाओं की अनदेखी की है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने जंगलमहल क्षेत्र में रहने वाले लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। उन्होंने आगे लिखा कि राज्य सरकार को यह नहीं पता है कि जंगलमहल क्षेत्र और उससे आगे की संस्कृति और विरासत में झुमुर का एक बड़ा स्थान है। लेकिन राज्य सरकार ने राजस्व कमाने के लिए लोगों की भावनाओं पर ध्यान नहीं दिया।
शराब की कीमतों में कमी को लेकर बंगाल विधानसभा में भी हुआ था हंगामा, भाजपा ने किया था वाकआउट
- बता दें कि इससे पहले बीते 17 नवंबर को बंगाल विधानसभा में शराब की कीमतों में कमी को लेकर जमकर हंगामा हुआ था। मुख्य विरोधी दल भाजपा के विधायकों ने राज्य सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए सदन से वाकआउट तक किया था। विपक्षी दलों ने पेट्रो उत्पादों पर करों की अनदेखी कर शराब पर शुल्क में कमी सहित कई मुद्दों को लेकर स्थगन प्रस्ताव पेश किए थे। विस अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने स्थगन प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया जिसके बाद भाजपा विधायकों ने सदन से वाकआउट किया था।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने सदन के बाहर संवाददाताओं से कहा था कि राज्य सरकार शराब की कीमतों में 30 प्रतिशत तक की कमी कर राज्य के युवाओं को गलत रास्ते पर ले जाने की कोशिश कर रही है। यह कदम कई परिवारों को बरबाद कर देगा।उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार को ईंधन पर वैट तुरंत कम करना चाहिए क्योंकि वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। उन्होंने दावा किया कि राज्य में बेरोजगारी की स्थिति खतरनाक है। सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित लोगों को नौकरी नहीं दे रही है।