बंगाल में भाजपा को खूब मिले एससी-एसटी वोट, आरक्षित सीटों पर टीएमसी को दी कड़ी टक्कर
टक्कर टीएमसी को आरक्षित सीटों में 45 और भाजपा को मिलीं 39 सीटें। आंकड़ों की तुलना करें तो भाजपा की अपेक्षा टीएमसी को सिर्फ 15 फीसद अधिक आरक्षित सीटें मिलीं। सामान्य सीटों में टीएमसी का 169 का हिस्सा भाजपा के 38 के मुकाबले साढ़े चार गुना था।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : तृणमूल ने बंगाल विधानसभा में लगभग तीन चौथाई सीटें जीती हैं, लेकिन आरक्षित सीटों के आंकड़े दर्शाते हैं कि भाजपा की सोशल इंजिनियरिंग के प्रयास काफी हद तक सफल रहे। राज्य में 84 आरक्षित सीटें थीं। इसमें एससी के लिए 68 और एसटी के लिए 16 आरक्षित थीं। सीटों के लिहाज से दोनों प्रतिद्वंद्वियों के बीच बहुत करीबी मुकाबला देखा गया, साथ ही सामान्य सीटों की तुलना में वोट शेयर भी भाजपा का ज्यादा रहा।
टीएमसी ने आरक्षित सीटों में से 45 पर जीत हासिल की और भाजपा को 39 सीटों पर जीत मिली। आंकड़ों की तुलना करें तो भाजपा की अपेक्षा, टीएमसी को सिर्फ 15 फीसद अधिक आरक्षित सीटें मिलीं। सामान्य सीटों में, टीएमसी का 169 का हिस्सा भाजपा के 38 के मुकाबले साढ़े चार गुना था। सामान्य सीटों में दोनों के बीच वोट शेयर का अंतर 13 प्रतिशत अंक का रहा।
भाजपा का वोट शेयर रहा 42.8 फीसद
-एससी के लिए आरक्षित सीटों में टीएमसी का वोट शेयर 46.2 प्रतिशत है और भाजपा का 42.8 फीसद। एसटी सीटों पर यह अंतर और कम रहा। एसटी सीटों पर टीएमसी की हिस्सेदारी 45.2 फीसद और भाजपा की 44 फीसद थी। टीएमसी के लिए अच्छी खबर एससी और एसटी दोनों सीटों पर है, 2019 की तुलना में इसके प्रदर्शन में सुधार नजर आया। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 46 सीटें मिली थीं और टीएमसी को 37 सीटें मिली थीं। इसके विपरीत टीएमसी को इस बार एससी सीटों में से 36 पर जीत मिली और भाजपा को 32 सीटें हासिल हुईं। एसटी सीट पर टीएमसी को लोकसभा चुनाव में सात सीटें मिली थीं इस बार नौ सीटें मिलीं।