विद्यासागर की 200वीं जयंती पर एशियाटिक सोसाइटी में प्रदर्शनी
जागरण संवाददाता कोलकाता पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर की 200वीं जयंती के मौके पर बुधवार को महा
जागरण संवाददाता, कोलकाता : पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर की 200वीं जयंती के मौके पर बुधवार को महानगर स्थित एशियाटिक सोसाइटी के विद्यासागर सभागार में प्रतिष्ठान के अध्यक्ष व प्रतिष्ठित कलाकार प्रो. ईशा मोहम्मद ने पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर की प्रतिमा का अनावरण कर आयोजित विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। वहीं कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत किए जादवपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के सेवानिवृत्त प्रो. सुकांत चौधरी ने ईश्वरचंद्र विद्यासागर के सामाजिक व सांस्कृतिक योगदान के साथ ही उनके शिक्षा क्षेत्र में किए गए अतुलनीय कार्यो पर प्रकाश डाला। इस दौरान उन्होंने कहा कि ईश्वरचंद विद्यासागर एक महान समाज सुधारक, लेखक, शिक्षाविद् व संस्कृत के विद्वान थे। समाज में क्रांतिकारी बदलाव को उन्होंने अथक प्रयास किया। महिलाओं की शिक्षा और स्थिति में बदलाव के प्रति उनका योगदान उल्लेखनीय है। साथ ही उन्होंने बहुविवाह, बाल विवाह का सख्त विरोध किया और भारत में विधवा विवाह व महिलाओं की शिक्षा का पुरजोर समर्थन किया। उन्होंने मेट्रोपॉलिटन विद्यालय समेत कई लड़कियों के स्कूल खोले। उनके प्रयास के कारण ही 1856 में विधवा विवाह कानून पास हो सका, जिससे विधवाओं के विवाह को कानूनी मान्यता मिल सकी। आगे उन्होंने कहा कि विद्यासागर न सिर्फ महान लेखक थे, बल्कि उनको आधुनिक बंगाली भाषा का जनक भी कहा जाता है। बंगाली की कई वर्णमालाओं में उन्होंने संशोधन किया। उन्होंने संस्कृत पर भी काफी काम किया। सेवानिवृत्त होने के समय तक वह कलकत्ता के संस्कृत कॉलेज में प्रोफेसर थे। उन्होंने संस्कृत व्याकरण के नियमों पर एक किताब भी लिखी।