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तंत्र के गण: गंगा किनारे चलती है भारती की पाठशाला, सैकड़ों छात्र-छात्राएं ले रहे हैं शिक्षा

बंगाल की सांस्कृतिक केंद्र रहे भाटपाड़ा की गुरुकुल परंपरा को जारी रखते हुए डॉ. जेके भारती गंगा नदी के किनारे प्राकृतिक वातावरण में पाठशाला चलाते हैं।

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 09:59 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 10:35 AM (IST)
तंत्र के गण: गंगा किनारे चलती है भारती की पाठशाला, सैकड़ों छात्र-छात्राएं ले रहे हैं शिक्षा
तंत्र के गण: गंगा किनारे चलती है भारती की पाठशाला, सैकड़ों छात्र-छात्राएं ले रहे हैं शिक्षा

कोलकाता, सुनील शर्मा। शिक्षा के बिना विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इसलिए समाज के हर व्यक्ति के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है, लेकिन समाज के कुछ ऐसे भी हिस्से हैं जहां शिक्षा की लौ नहीं पहुंच पाती है। ऐसी स्थिति में गरीब और असमर्थ परिवारों की प्रतिभाएं अंधेरे से बाहर नहीं निकल पाती।ऐसी प्रतिभाओं को प्रकाशित करने के लिए सिर्फ सरकारी पहल काफी नहीं है। इस सच्चाई को समझते हुए डॉ. जेके भारती वंचित तबकों में शिक्षा का दीप प्रज्ज्वलित कर समाज व राष्ट्र के विकास में योगदान कर रहे हैं।

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भारती अपने आप में एक संस्थान हैं। ये उन बच्चों में शिक्षा की रोशनी फैलाने का प्रयास कर रहे हैं, जिनके पास किसी प्रसिद्ध कोचिंग सेंटर में पढ़ने का सामथ्र्य नहीं है। डॉ. भारती द्वारा इन बच्चों को शिक्षा देने की पद्धति भी बिल्कुल अलग है। माध्यमिक परीक्षा के ठीक चार महीने पहले गंगा तट पर खुले आसमान के नीचे इनका गुरुकुल शुरू होता है। बैरकपुर क्षेत्र के भाटपाड़ा में गंगा नदी के किनारे प्राकृतिक वातावरण में भारती की पाठशाला चलती है, जहां एक साथ सैकड़ों छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं।

यहां जे के भारती निशुल्क शिक्षा प्रदान करते हैं। उन्होंने इस पाठशाला का नाम ’भारती नि:शुल्क गुरुकुल’ दिया है। इसके लिए उन्होंने किसी तरह के गैर सरकारी संगठन की मदद नहीं ली है बल्कि खुद से शिक्षा की रोशनी फैला रहे हैं। 

बंगाल की सांस्कृतिक केंद्र रहे भाटपाड़ा की गुरुकुल परंपरा को डॉ. भारती आज भी जारी रखे हुए हैं। खुद अभाव में रहते हुए वे जरूरतमंद बच्चों को लगातार 22 साल से शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। पिछले साल मई में उपद्रवियों ने उनके मकान लूट लिए। इसके बाद भी मां भारती के लाल डॉ. जेके भारती अपने मार्ग पर अग्रसर हैं। उनका यह प्रयास एकता का प्रतीक भी है।

मानवता एवं सामाजिक सद्भावना का भी दे रहे संदेश

उनके गुरुकुल में प्रति दिन करीब तीन हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं। यहां माध्यमिक के परीक्षार्थियों को प्रत्येक विषय पढ़ाया जाता है। समाज के गरीब और वंचित परिवारों के बच्चों में ज्ञान का प्रकाश फैलाना डॉ. जेके भारती के जीवन का उद्देश्य है। इस गुरु में विद्यार्थियों के प्रति उदारता की भावना कुछ इस कदर है जो कल्पना से परे है। उन्होंने अपने पिता सभापति भारती के हत्यारोपित के बेटे को भी पढ़ाया और वह भी नि:शुल्क।

उनके वहां कांकीनाड़ा, जगद्दल, भाटपाड़ा के साथ ही पलता, बैरकपुर, टीटागढ़, विधाननगर, नैहाटी, हालीशहर, कांचरापाड़ा, रानाघाट व हुगली जिले के रिसड़ा चंदन नगर, श्रीरामपुर सहित विभिन्न इलाकों के बच्चे पढऩे आते हैं। वे खड़दह में भी इसी तरह बच्चों को निशुल्क पढ़ाते हैं। वे बांग्ला, उर्दू व अरबी भी पढ़ाते हैं। 


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