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Bengal Politics: राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ अब संवैधानिक तौर पर कदम उठाने पर विचार कर रहा तृणमूल नेतृत्व

राज्यपाल जगदीप धनखड़ और तृणमूल सरकार के बीच कड़वाहट दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। तृणमूल का शीर्ष नेतृत्व अब राज्यपाल के खिलाफ संवैधानिक तौर पर कदम उठाने पर विचार कर रहा है। गौरतलब है कि तृणमूल की तरफ से राज्यपाल के खिलाफ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा गया था।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 20 May 2021 07:46 PM (IST)Updated: Thu, 20 May 2021 07:46 PM (IST)
Bengal Politics: राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ अब संवैधानिक तौर पर कदम उठाने पर विचार कर रहा तृणमूल नेतृत्व
राज्यपाल जगदीप धनखड़ और तृणमूल सरकार के बीच कड़वाहट दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : राज्यपाल जगदीप धनखड़ और तृणमूल सरकार के बीच कड़वाहट दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। तृणमूल का शीर्ष नेतृत्व अब राज्यपाल के खिलाफ संवैधानिक तौर पर कदम उठाने पर विचार कर रहा है। गौरतलब है कि तृणमूल की तरफ से राज्यपाल के खिलाफ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा गया था। पार्टी सूत्रों से पता चला है कि उस पत्र को राष्ट्रपति भवन ने स्वीकार ही नहीं किया अब तृणमूल संवैधानिक तौर पर कदम उठाने के बारे में सोच रही है। पहले विकल्प के तौर पर राज्यपाल के खिलाफ 'सब्सटेंटेटिव मोशन' लाने पर विचार किया जा रहा है। यह प्रस्ताव लोकसभा अथवा राज्यसभा में कोई भी सांसद ला सकता है। प्रस्ताव के स्वीकृत होने पर राज्यपाल की भूमिका को लेकर सदन में चर्चा की जाएगी। तृणमूल के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि लोकसभा व राज्यसभा की नियमावली में इस तरह का प्रस्ताव लाने का प्रावधान है। कुछ साल पहले राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के खिलाफ सुखेंदु शेखर राय ने ही सब्सटेंटेटिव मोशन लाया था।  

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गौरतलब है कि कल्याण सिंह ने विवादास्पद बयान देते हुए कहा था कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने अंग्रेजों को खुश करने के लिए जन-गण-मन लिखा था इसलिए इससे राष्ट्रगान का दर्जा छीन लिया जाए। 

 दूसरे विकल्प के तौर पर राज्यपाल के खिलाफ संसद में 'इंपिचमेंट' प्रस्ताव लाने पर विचार किया जा रहा है। संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि राज्यपाल राज्य के संवैधानिक प्रमुख होते हैं इसलिए उनके खिलाफ मामला दायर करने का अधिकार संविधान में नहीं दिया गया है इसलिए विकल्प के तौर पर इंपिचमेंट प्रस्ताव लाया जा सकता है। संविधान विशेषज्ञों ने कहा कि लोकसभा अथवा राज्यसभा में राज्यपाल के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर भी उसपर चर्चा कराई जाएगी या नहीं,यह लोकसभा अथवा राज्यसभा अध्यक्ष तय करेंगे।


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