पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल, आखिर ऐसे हमले और बदसलूकी करने वाले लोग कौन हैं?
Bengal Politics भाजपा ने रविवार को दावा किया कि बांकुड़ा जिले के सोनामुखी से उनके पार्टी विधायक दिबाकर घरामी पर तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हमला किया। हालांकि पुलिस ने इसकी जानकारी होने से ही इन्कार कर दिया था।
कोलकाता, स्टेट ब्यूरो। विधानसभा के चुनाव परिणाम आने के बाद से बंगाल में हुई हिंसा की जांच के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को एक जांच समिति बनाने का निर्देश दिया था। उसी अनुसार एनएचआरसी समिति गठित कर जांच कर रही है। प्राथमिक रिपोर्ट मिलने के बाद हाई कोर्ट ने जो कहा वह सर्वविदित है। बावजूद इसके बंगाल में हिंसक घटनाएं नहीं थम रही हैं। भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को दावा किया कि बांकुड़ा जिले के सोनामुखी से उनके पार्टी विधायक दिबाकर घरामी पर तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हमला किया। हालांकि पुलिस ने इसकी जानकारी होने से ही इन्कार कर दिया।
बंगाल विधानसभा में नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने देर रात एक ट्वीट कर आरोप लगाया कि घरामी पर मानिक बाजार पंचायत क्षेत्र में ‘तृणमूल कांग्रेस के गुंडों’ ने हमला किया। हमले में भारतीय जनता पार्टी के सात कार्यकर्ता घायल हो गए और उन्हें बांकुड़ा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भेजा गया है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि ऐसे हमले क्यों हो रहे हैं? वह भी उस समय जब हाई कोर्ट के निर्देश पर चुनाव बाद हिंसा की जांच के लिए एनएचआरसी की टीम बंगाल में मौजूद है। अभी कुछ दिन पहले ही कोलकाता के जादवपुर इलाके में एनएचआरसी की जांच टीम के साथ बदसलूकी की गई। आखिर ऐसे हमले और बदसलूकी करने वाले लोग कौन हैं? इनमें इतने दुस्साहस कहां से आया?
यदि पुलिस प्रशासन का प्रश्रय न हो तो इस तरह के हमले एवं बदसलूकी करना तो दूर किसी से ऊंची आवाज में बिना किसी दोष के कोई बात भी नहीं कर सकता। यही वजह है कि हाई कोर्ट को निर्देश देना पड़ा है कि अब तक जितनी भी हिंसा की घटनाएं हुई हैं सबकी एफआइआर दर्ज की जाए। ऐसा नहीं है कि हाई कोर्ट ने पहली बार ऐसा निर्देश दिया है। इससे पहले भी कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिसमें राज्य पुलिस-प्रशासन की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठे थे और कोर्ट में उनकी फजीहत हुई थी। यहां यदि कोई मामला विपक्षी दलों से जुड़ा है तो पुलिस अति सक्रियता के साथ कार्य करती है, लेकिन सत्तारूढ़ दल से जुड़ा हो तो प्राथमिकी दर्ज करना तो दूर शिकायत भी स्वीकार नहीं करती। ऐसे में हिंसा और अपराध कैसे थमेगा? जब बिना झंडा और राजनीति का रंग देखे कार्रवाई होगी तभी हिंसा थमेगी। यदि प्रदेश को विकास के रास्ते पर ले जाना है तो पुलिस को हिंसा पर रोक लगानी होगी।