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बंगाल में विपक्ष दल के नेता सुवेंदु अधिकारी को कलकत्ता हाईकोर्ट से राहत, पांच मामलों में तीन में गिरफ्तारी पर रोक

बंगाल में विरोधी दल के नेता सुवेंदु अधिकारी को कलकत्ता हाईकोर्ट से राहत मिली है। कोर्ट ने उनके खिलाफ चल रहे पांच मामलों में तीन में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। अन्य दो मामलों में उन्हें जांचकर्ताओं का सहयोग करना होगा।

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 06 Sep 2021 07:38 PM (IST)Updated: Mon, 06 Sep 2021 07:38 PM (IST)
बंगाल में विपक्ष दल के नेता सुवेंदु अधिकारी को कलकत्ता हाईकोर्ट से राहत, पांच मामलों में तीन में गिरफ्तारी पर रोक
बंगाल में विपक्ष दल के नेता सुवेंदु अधिकारी को कलकत्ता हाईकोर्ट से राहत

राज्य ब्यूरो कोलकाता : बंगाल में विरोधी दल के नेता सुवेंदु अधिकारी को कलकत्ता हाईकोर्ट से राहत मिली है। कोर्ट ने उनके खिलाफ चल रहे पांच मामलों में तीन में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। अन्य दो मामलों में उन्हें जांचकर्ताओं का सहयोग करना होगा। हालांकि कोर्ट ने कहा है कि इन दो मामलों में भाजपा नेता के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जा सकती है। सुवेंदु अधिकारी ने अपने खिलाफ पांच मामले सीबीआइ को सौंपने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

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इस बीच सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजशेखर मंथा ने नंदीग्राम में पिटाई, तमलुक के पुलिस अधीक्षक को धमकाने और पांशकूड़ा में छिनतई के मामले में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आदेश दिया है। उनके अंगरक्षक की रहस्यमय मौत और मानिकतला नौकरी धोखाधड़ी मामले की जांच की जाएगी। हालांकि, कठोर कदम नहीं उठाए जा सकते। जांचकर्ताओं को विपक्ष के नेता की पसंद की जगह पर जाकर बयान लेना होगा। न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि अधिकारी के खिलाफ कोई भी नई एफआइआर दर्ज करने से पहले कोर्ट को जानकारी देनी होगी।

अंगरक्षक की मौत के मामले की जांच के सिलसिले में सीआइडी के समक्ष पेश नहीं हुए सुवेंदु

- वहीं दूसरी ओर सुवेंदु अधिकारी सोमवार को अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए अपने एक अंगरक्षक

शुभब्रत चक्रवर्ती की खुदकुशी के मामले की जांच के सिलसिले में राज्य अपराध जांच विभाग (सीआइडी) के समक्ष पेश नहीं हुए। इसी मामले में सीआइडी ने उनके चालक शंभु माइति और उनके एक करीबी संजीव शुक्ला को सात सितंबर को तलब किया है। इस मामले में अधिकारी पर आरोप है कि उन्होंने अपने सुरक्षा गार्ड को खुदकुशी के लिए उकसाया था। इसके अलावा सुरक्षा गार्ड की खुदकुशी के मामले में आज हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान

न्यायाधीश राजशेखर मंथा ने सीआइडी ​​जांच पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सीआइडी ​​को जांच की जिम्मेदारी देने का क्या कारण है? सवाल किया कि शुभब्रत की पत्नी ने तीन साल बाद प्राथमिकी क्यों दर्ज की। किस आधार पर मामले की दोबारा जांच करनी पड़ी? जिनके नाम (सुवेंदु अधिकारी) पर कोई शिकायत नहीं है। एफआइआर में नाम नहीं है। उस मामले में तलब करने का क्या कारण है? उन्होंने राज्य को छह सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।


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