Move to Jagran APP

फल व सब्जियों के निर्यात को बाजार की तलाश में बंगाल

- हाल ही में कृषि मंत्रालय द्वारा जारी राज्यवार बागवानी आकड़े में शीर्ष पर रहा बंगाल - बोले रा

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 12:46 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 12:46 PM (IST)
फल व सब्जियों के निर्यात को बाजार की तलाश में बंगाल
फल व सब्जियों के निर्यात को बाजार की तलाश में बंगाल

- हाल ही में कृषि मंत्रालय द्वारा जारी राज्यवार बागवानी आकड़े में शीर्ष पर रहा बंगाल

loksabha election banner

- बोले राज्य कृषि विभाग के मुख्य सलाहकार, संसाधन की कमी के कारण पेश आ रही है दिक्कतें

जागरण संवाददाता, कोलकाता : साल 2018-19 में सब्जी उत्पादन में शीर्ष राज्य के रूप में उभरने के बावजूद पश्चिम बंगाल देश के कुल फलों, सब्जियों के बीज और ताजी सब्जियों का केवल 20 फीसद भी निर्यात कर पाता है। मूल्य की दृष्टि से कुल निर्यात में राज्य की हिस्सेदारी करीब 11 फीसद है। 2018-19 में बंगाल ने 29.55 मिलियन टन सब्जियों का उत्पादन किया था, जबकि इससे पहले 27.70 मिलियन टन था। कृषि मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी राज्यवार बागवानी उत्पादन आकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सब्जियों का उत्पादन 28.32 मिलियन टन से घटकर 2018-19 में 27.71 मिलियन टन पर आ गया था। बंगाल में सब्जी की फसल का कुल क्षेत्रफल 1,490.39 हेक्टेयर के करीब है और उत्पादकता लगभग 19.82 टन प्रति हेक्टेयर है। सब्जी की फसल के तहत उत्तर प्रदेश का कुल क्षेत्रफल 1,256.27 हेक्टेयर के करीब है और इसकी उत्पादकता 22.05 टन प्रति हेक्टेयर है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक 2018-19 में बंगाल ने लगभग 1, 43,925.89 टन ताजी सब्जियों का निर्यात किया था, जो लगभग 258.22 करोड़ रुपये की अनुमानित थी, जबकि भारत का निर्यात लगभग 7,20,558.42 टन था, जिसकी कीमत 1,950.96 करोड़ थी। वहीं फलों और सब्जियों के बीज का निर्यात पूरे देश से 16,151 टन के मुकाबले बंगाल से 6,013.44 टन रहा। राज्य कृषि विभाग के मुख्य सलाहकार प्रदीप कुमार मजुमदार ने कहा कि फसलों की कई किस्मों में विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो माग के अनुरुप है। इससे किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त होने के साथ ही अन्य व्यवस्थाएं सुचारू ढंग से संचालित करने में सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि पूरे देश में कृषि के साथ समस्या यह है कि लोग बिना माग को समझे उत्पादकता बढ़ाने का लक्ष्य बना रहे हैं। लेकिन बंगाल में हम फसलों की ऐसी किस्मों में विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो माग में हैं, ताकि किसान को बेहतर कीमत मिल सके। बंगाल पूरे देश में अपने आलू उत्पादन को जाना जाता है, क्योंकि यह अधिक संस्थागत है और इसमें उद्योग की भागीदारी है। सब्जियों को किसानों के मार्गदर्शन के बिना बेअदबी से उगाया जा रहा था। अब हम सब्जियों और फलों को उगाने में दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा हमने टिशू कल्चर केला पेश किया है, जिसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भेजा रहा है। आगे उन्होंने कहा कि हमारे किसान छोटे हैं। ऐसे में उन्हें हैंडहोल्डिंग और मार्गदर्शन की जरूरत है। वहीं पेश आ रही है मौजूदा समस्या पर उन्होंने कहा कि राज्य खाद्य प्रसंस्करण व बागवानी विकास निगम लिमिटेड ने हाल ही में आवश्यक बुनियादी ढाचे और अपर्याप्त गुणवत्ता मानकों की कमी सहित निर्यात में विभिन्न बाधाओं का जायजा लेने के लिए एक हितधारकों की बैठक बुलाई थी। फलों, सब्जियों और सुपारी के निर्यात में लगे कई निर्यातक और संघ के लोगों ने इस बैठक में हिस्सा लिया था। मजुमदार ने कहा कि निर्यातकों की शीघ्रता से परिवहन की जाने वाली उड़ानों की कमी, उत्पादों की असंतोषजनक गुणवत्ता और अपर्याप्त बाजार संपर्क के कारण निर्यातकों को दिक्कतें पेश आ रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.