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बंगाल में राज्यपाल और मुख्‍यमंत्री में टकराव चरम पर, धनखड़ बोले-आर्टिकल 154 देखने पर मजबूर न करें

टकराव - अब ताकत को लेकर राज्यपाल व ममता आमने-सामने। धनखड़ ने कहा आर्टिकल 154 देखने पर मजबूर न करें। तृणमूल सरकार पर बंगाल को पुलिस स्टेट में बदलने का लगाया आरोप। धनखड़ ने कानून-व्यवस्था को लेकर डीजीपी को पत्र लिखा था जिस पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई।

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 06:14 PM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 06:55 PM (IST)
बंगाल में राज्यपाल और मुख्‍यमंत्री में टकराव चरम पर, धनखड़ बोले-आर्टिकल 154 देखने पर मजबूर न करें
बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और ममता सरकार के बीच लंबे समय से जारी टकराव सोमवार चरम पर पहुंच गया।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और ममता सरकार के बीच लंबे समय से जारी टकराव सोमवार को चरम पर पहुंच गया। राज्यपाल ने अब संविधान के अनुच्छेद 154 का उदाहरण देते हुए राज्य सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि उन्हें राज्य की शक्तियां अपने हाथ में लेने पर विचार करना होगा। धनखड़ ने संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर कहा, तृणमूल सरकार ने बंगाल को पुलिस स्टेट में बदल दिया है। राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। मुझे पिछले काफी समय से नजरअंदाज किया जा रहा है और ऐसा ही रहा तो मजबूरन मुझे संविधान के उस अनुच्छेद 154 का इस्तेमाल करना पड़ेगा जो कहता है कि राज्य की शक्तियां गवर्नर में निहित होंगी। यानी राज्य का शासन वह अपने हाथ में ले सकते हैं। 

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मुख्यमंत्री ममता के लिखे 9 पेज के पत्र के जबाव में राज्यपाल धनखड़ ने चेताया

दरअसल दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर उनसे संविधान के दायरे में रहकर काम करने को कहा था। धनखड़ ने कानून-व्यवस्था को लेकर डीजीपी को पत्र लिखा था, जिस पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताते हुए उनकी तरफ से राज्यपाल को लिखे 9 पेज के पत्र में कहा कि शक्तियों की सीमा पार कर मुख्यमंत्री पद की अनदेखी करने और राज्य के अधिकारियों को आदेश देने से दूर रहें। ममता के इसी पत्र के जवाब में राज्यपाल ने सोमवार को अपने अधिकारों के बारे में उन्हें चेताया। 

डीजीपी को पत्र-पुलिस सत्ताधारी तृणमूल के निजी कैडर के रूप में काम कर रही

राज्यपाल ने डीजीपी बीरेंद्र को लिखे पत्र के जवाब को गैर जिम्मेदार और कठोर बताते हुए कहा कि पुलिस सत्ताधारी तृणमूल के निजी कैडर के रूप में काम कर रही है। उन्होंने कहा, 'यदि संविधान की रक्षा नहीं की गई तो मुझे एक्शन लेना होगा। राज्यपाल के दफ्तर को लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा है। मैं संविधान के अनुच्छेद 154 पर विचार करने को मजबूर हो जाऊंगा।'

  आतंकवादी मॉड्यूल भी राज्य में सक्रिय हैं, लंबे समय से इसकी अनदेखी हो रही

राज्यपाल ने यह भी कहा कि तृणमूल सरकार की ओर से राजभवन की इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस की वजह से वह व्हाट्सएप कॉल के जरिए बात करने पर मजबूर हैं। राज्यपाल ने कहा, 'बंगाल एक पुलिस स्टेट में बदल चुका है। पुलिस शासन और लोकतंत्र साथ-साथ नहीं चल सकते। कानून व्यवस्था यहां ध्वस्त हो चुकी है। माओवादी उग्रवाद अपना सिर उठा रहा है। आतंकवादी मॉड्यूल भी राज्य में सक्रिय हैं। लंबे समय से इसकी अनदेखी हो रही है। इसीलिए उनको इस पर कुछ कदम उठाना होगा।'

राज्यपाल पद संभालने के बाद से ही मुख्यमंत्री ममता के साथ चल रहा है टकराव 

गौरतलब है कि जुलाई 2019 में राज्यपाल का पद संभालने के बाद से ही धनखड़ और ममता सरकार के बीच टकराव चल रहा है। विभिन्न मुद्दों पर राज्यपाल लगातार ममता को घेरते आ रहे हैं। एक दिन पहले उन्होंने पीएम किसान योजना को लेकर भी ममता से पूछा था कि केंद्र सरकार किसानों के खाते में सीधे पैसा दे रही है तो राज्य सरकार इस में बिचौलिया क्यों बनना चाह रही है। दरअसल ममता ने केंद्र को पत्र लिखकर कहा है कि यदि पैसा राज्य सरकार के माध्यम से जारी किया जाता है तो वह यहां पीएम किसान व आयुष्मान भारत योजना लागू करने को तैयार हैं। इसी पर राज्यपाल ने सवाल उठाए।  

राज्यपाल और राज्यों के संबंध विस्तार से बताए, ये है संविधान का अनुच्छेद 154?

संविधान में राज्यपाल और राज्यों के संबंधों को कई अनुच्छेदों में विस्तार से बताया गया है। संविधान के अनुच्छेद 154 के प्रावधानों के मुताबिक राज्य की कार्यपालिका की शक्ति राज्यपाल में निहित होगी। अनुच्छेद 154 (1) के मुताबिक, राज्य की कार्यपालिका की शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा।


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