एनजीटी के 3500 करोड़ रुपये के जुर्माने के बाद बंगाल सरकार की खुली आंखें, पर्यावरण मंत्री ने मांगी रिपोर्ट
बंगाल के पर्यावरण मंत्री मानस भुइयां ने सोमवार को कहा कि ठोस और तरल कचरे का निस्तारण करने में राज्य के कथित तौर पर नाकाम रहने के मद्देनजर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के हालिया फैसले पर उन्होंने अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल के पर्यावरण मंत्री मानस भुइयां ने सोमवार को कहा कि ठोस और तरल कचरे का निस्तारण करने में राज्य के कथित तौर पर नाकाम रहने के मद्देनजर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के हालिया फैसले पर उन्होंने अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। एनजीटी ने पिछले दिनों राज्य पर 3,500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा था कि शहरी इलाकों में ठोस और तरल कचरे के निस्तारण को प्राथमिकता देने में सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं की गई है।
करीब एक महीने पहले ही पर्यावरण मंत्री के रूप में कामकाज संभालने वाले भुइयां ने कहा कि उन्होंने अभी एनजीटी का मूल आदेश नहीं देखा है और अखबार की खबरों से उन्हें व्यवस्था के बारे में पता चला है। उन्होंने कहा कि मैंने विभागीय अधिकारियों और प्रधान सचिव रोशनी सेन से हालात (कचरा प्रबंधन के) पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। हम पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी जानकारी मांग रहे हैं। पूरे मामले में निगम और शहरी विकास विभाग के विचार महत्वपूर्ण हैं। मंत्री ने कहा कि जब उन्हें पूरी जानकारी मिल जाएगी तो वह खामियों से निपटने के लिए ठोस कार्रवाई योजना बनाएंगे और इस बारे में घोषणा करेंगे।
बताते चलें कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले ठोस और तरल अपशिष्ट का सही से निस्तारण नहीं करने को लेकर बंगाल सरकार पर भारी जुर्माना लगा है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधीकरण (एनजीटी) ने बंगाल पर 3500 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया है। एनजीटी का मानना है कि बंगाल सरकार सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर नजर नहीं दे रही है। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी मामलों में लापरवाही नहीं हो सकती है।