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बंगाल सरकार ने गंगासागर मेले पर निगरानी के लिए गठित कमेटी में सुवेंदु को शामिल किए जाने पर उठाया सवाल

बंगाल सरकार ने गंगासागर मेले पर निगरानी के लिए गठित की जाने वाली कमेटी में बंगाल विधानसभा में विरोधी दल के नेता सुवेदु अधिकारी को शामिल किए जाने पर सवाल उठाया है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि यह राजनीति से जुड़ा मामला नहीं है

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 10 Jan 2022 09:27 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jan 2022 09:27 PM (IST)
बंगाल सरकार ने गंगासागर मेले पर निगरानी के लिए गठित कमेटी में सुवेंदु को शामिल किए जाने पर उठाया सवाल
बंगाल विधानसभा में विरोधी दल के नेता सुवेदु अधिकारी को शामिल किए जाने पर सवाल

राज्य ब्यूरो, कोलकाता :बंगाल सरकार ने गंगासागर मेले पर निगरानी के लिए गठित की जाने वाली कमेटी में बंगाल विधानसभा में विरोधी दल के नेता सुवेदु अधिकारी को शामिल किए जाने पर सवाल उठाया है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि यह राजनीति से जुड़ा मामला नहीं है, इसलिए कमेटी में विरोधी दल के नेता को शामिल करने की कोई जरूरत नहीं है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने गत शुक्रवार को ममता सरकार को सशर्त गंगासागर मेला आयोजित करने की अनुमति दी थी।

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अदालत ने गंगासागर मेले में कोरोना प्रोटोकाल के अनुपालन पर निगरानी के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन करने को कहा था, जिसमें बंगाल के मुख्य सचिव या राज्य सरकार द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि, बंगाल विधानसभा में मुख्य विरोधी दल के नेता सुवेंदु अधिकारी या उनके द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि एवं राज्य मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन अथवा उनके द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल होंगे।

वहीं दूसरी ओर गंगासागर मेला बंद करने के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट में नए सिरे से पांच याचिकाएं दायर की गई हैं।ये याचिकाएं अधिवक्ताओं के एक समूह द्वारा दायर की गई हैं। इन याचिकाओं के जरिए हाई कोर्ट से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का निवेदन किया गया है। अदालत ने इन याचिकाओं पर अपना निर्णय सुरक्षित रखा है।याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया है कि गंगासागर मेला जारी रहने से कोरोना की स्थिति और भी खराब हो जाएगी। इसपर सोमवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि कड़ी निगरानी में गंगासागर मेला चल रहा है और कोरोना संबंधी सभी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जा रहा है।

दूसरी ओर गंगासागर मेले को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। वे इस डर से एहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं कि इस आयोजन से अस्पताल में भर्तियों की संख्या बढ़ सकती है और राज्य का स्वास्थ्य ढांचा चरमरा सकता है।


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