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Bengal Chunav: शुरू से ही अहम रही हैं मुर्शिदाबाद जिले की विधानसभा सीटें, कभी बंगाल की राजधानी होने का था गौरव

West Bengal Assembly Election 2021 बांग्लादेश सीमा से सटे डोमकल के रहने वाले आशीष राय कहते हैं पहले टीएमसी व सीपीएम के बीच चुनाव में घमासान होता रहता था इस बार भाजपा को दोनों पटिया के अराजक तत्वों से निपटना होगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 10:09 PM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 10:22 PM (IST)
Bengal Chunav: शुरू से ही अहम रही हैं मुर्शिदाबाद जिले की विधानसभा सीटें, कभी बंगाल की राजधानी होने का था गौरव
West Bengal Assembly Election 2021: मुर्शिदाबाद में स्थित हज़ारद्वारी पैलेस

रोहित कुमार, मुर्शिदाबाद। West Bengal Assembly Election 2021 मुर्शिदाबाद की भूमि अपने भीतर इतिहास की कई गाथाएं समेटे हुए है। कभी बंगाल की राजधानी रही यह भूमि राष्ट्रभक्ति के साथ साथ राष्ट्रविरोधी व लोकतंत्र विरोधी गतिविधियों के लिए भी काफी चर्चित रही है। प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जिले के बहरामपुर के सैनिकों ने अंग्रेजी शासन की खिलाफत करते हुए चर्बी वाले कारतूस का विरोध किया था। वहीं बांग्लादेश की सीमा से सटे इसी मुर्शिदाबाद जिले में जाली नोट व गौ तस्करी का बड़ा राष्ट्रविरोधी कारोबार चल रहा है। जिले में विभिन्न क्षेत्रों में चुनावी हिंसा का भी इतिहास रहा है। हाल के दिनों में चुनाव के ठीक पहले जंगीपुर के विधायक व ममता सरकार में राज्य मंत्री जाकिर हुसैन पर हुआ जानलेवा हमला इसकी बानगी है। इस लोकसभा क्षेत्र की सीमा बांग्लादेश की सीमा को छूती है, जिसका फायदा अंतरराष्ट्रीय तस्कर उठाते हैं।

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मुर्शिदाबाद लोकसभा सीट पर अभी राज्य के सत्ताधारी दल टीएमसी का कब्जा है। यहां टीएमसी के अबू ताहेर खान ने कांग्रेस की अबू हीना को हराया था। इसके पूर्व इस सीट पर बारी बारी से कांग्रेस व सीपीएम का कब्जा रहा है, जबकि इसी जिले की बहरामपुर सीट पिछले पांच टर्म से कांग्रेस के कब्जे में रही है। यहां से अधीर रंजन चौधरी सांसद चुने जाते रहे हैं। मुर्शिदाबाद लोकसभा व बहरामपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत कई विधानसभा का क्षेत्र बांग्लादेश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटा है। इस कारण यह क्षेत्र चुनाव के समय काफी संवेदनशील माना जाता है। पिछले चुनाव में यहां सीपीएम व टीएमसी के बीच कई बार राजनीतिक हिंसा हो चुकी है। कई लोगों की इसमें जान भी गई है। जिले में मुसलमानों की औसतन आबादी 75 फीसद है। गंगा का कटाव व बाढ़ यहां के लोगों के लिए बड़ा चुनावी मुद्दा है जो चुनाव में गौण दिख रहा है।

बांग्लादेश के सीमावर्ती विधानसभा लालगोला की भाजपा प्रत्याशी कल्पणा घोष को इस बार के चुनाव में भी हिंसा की आशंका सता रही है। वे कहती हैं इस बार तो सीपीएम या टीएमसी के लिए भाजपा ही फैक्टर है। जब टीएमसी के कार्यकर्ता उन लोगों को दीवार लेखन नहीं करने दे रहे हैं तो उनके वोटर को डराएंगे-धमकाएंगे ही। वे कहती है उनके समर्थकों को टीएमसी कार्यकर्ताओं के द्वारा बीएसएफ कैंप के समीप पोस्टर नहीं लगाने दिया गया। उनके अनुसार क्षेत्र में स्वास्थ्य सबसे बड़ा मुद्दा है। यहां के अस्पतालों में प्राथमिक उपचार से अधिक कोई सुविधा नहीं है। हरेक साल गंगा व पद्मा में आने वली बाढ़ से लोग परेशान रहते हैं। सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यहां तस्करों की खूब चलती है। बांग्लादेश सीमा से सटे डोमकल के रहने वाले आशीष राय कहते हैं पहले टीएमसी व सीपीएम के बीच चुनाव में घमासान होता रहता था इस बार भाजपा को दोनों पटिया के अराजक तत्वों से निपटना होगा।


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