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Bengal Chunav: बंगाल के विधानसभा चुनावों का चौथा चरण क्‍यों भाजपा के लिए काफी अहम, तृणमूल के लिए चुनौती

बंगाल की सत्ता पर काबिज होने के लिए चौथे दौर की जंग में सूबे के पांच जिलों की 44 विधानसभा सीटों पर मतदान जारी है। यह चरण तृणमूल ही नहीं भाजपा के लिए काफी अहम है। तृणमूल कांग्रेस ने इन 44 सीटों में से 39 पर जीत दर्ज की थी।

By Vijay KumarEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 06:39 PM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 03:11 PM (IST)
Bengal Chunav: बंगाल के विधानसभा चुनावों का चौथा चरण क्‍यों भाजपा के लिए काफी अहम, तृणमूल के लिए चुनौती
-तीन वर्षो में भाजपा के वोट में हुआ है तीन गुना इजाफा -तृणमूल के लिए 2016 का प्रदर्शन दोहराने की चुनौती

जयकृष्ण वाजपेयी, कोलकाता : बंगाल की सत्ता पर काबिज होने के लिए चौथे दौर की जंग में सूबे के पांच जिलों की 44 विधानसभा सीटों पर मतदान जारी है। यह चरण तृणमूल ही नहीं भाजपा के लिए काफी अहम है। पिछले चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2016 से 2019 तीन वर्षो में उन 44 विधानसभा सीटों पर भाजपा के वोट प्रतिशत में तीन गुना इजाफा हुआ था। कूचबिहार जिले की सभी नौ और अलीपुरद्वार की पांच, दक्षिण 24 परगना की 11, हावड़ा की नौ और हुगली की 10 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है।

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2016 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने इन 44 सीटों में से 39 पर जीत दर्ज की थी। वहीं भाजपा के खाते में महज एक सीट आई थी। वामपंथियों को तीन और उनके गठबंधन के साथी कांग्रेस को एक सीट मिली थी। परंतु, 2019 के लोकसभा चुनाव में स्थिति पूरी तरह से बदल गई। इन 44 सीटों में से महज 25 पर तृणमूल और 19 सीटों पर भाजपा आगे हो गई। अलग-अलग लड़े वामपंथी दल व कांग्रेस की झोली में शून्य आया था।

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तृणमूल और भाजपा का भविष्य तय करेगा चौथा चरण

अगर वोट प्रतिशत पर नजर डालें तो 2016 में इन 44 सीटों पर तृणमूल को 46.02, भाजपा को 12.13 और वाम-कांग्रेस गठबंधन को 35.5 (28.79 + 6.71) फीसद वोट मिला था। 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणामों का विश्लेषण करने पर यह देखा गया है कि तृणमूल का वोट थोड़ा कम होकर 44.73 फीसद हो गया है। वहीं भाजपा 40.88 फीसद पहुंच गया। इसके अलावा वाम दलों 9.63 और कांग्रेस 1.8 फीसद पर पहुंच गया।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार इस चरण में जहां तृणमूल के लिए 2016 का अपना प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है तो दूसरी ओर भाजपा को 2019 का वोट बैंक के साथ-साथ और बेहतर प्रदर्शन करना होगा। क्योंकि, उत्तर बंगाल के 14 सीटें इस चरण में शामिल है जहां के मतदाताओं ने भाजपा की झोली भर दी थी। वहीं हावड़ा, हुगली और दक्षिण 24 परगना जिले में तृणमूल ने परचम लहराया था। इसीलिए यह सीटें भाजपा व तृणमूल का भविष्य तय करने वाला है।

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तृणमूल ने बदले चेहरे तो जातीय गणित भी है अहम

सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने इन सीटों पर व्यवस्था विरोधी कारक को दबाने के लिए इन 44 सीटों में पर 27 नए चेहरे उतारे हैं। इस चरण में 20 फीसद मुसलमान, 24 फीसद अनुसूचित जाति और चार फीसद अनुसूचित जनजाति मतदाताएं हैं। 18 सीटों पर 20 फीसद से अधिक मुस्लिम आबादी है, जबकि दो सीटों पर राजबंशियों की आबादी 20 फीसद से अधिक और तीन सीटों पर चाय बागान के श्रमिकों की आबादी 20 फीसद से अधिक है। पिछले लोकसभा चुनाव में राजबंशियों से लेकर अनिसूचित जाति व जनजातियों का वोट भाजपा के खाते में गया था। इस बार तृणमूल ने पूरी तरह से सेंध लगाने की जुगत में है।


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