Bengal Chunav: पहले माकपा और अब तृणमूल के इस गढ़ में भाजपा की हो चुकी है जबर्दस्त एंट्री
सिंडिकेट राज इस विधानसभा क्षेत्र में बड़ा मुद्दा है और विरोधी दल इसी को लेकर तृणमूल को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। यहां अहम मुद्दा है क्योंकि राजारहाट के जो इलाके इस विधानसभा क्षेत्र के तहत आते हैं उन सबका समान तौर पर विकास नहीं हो पाया है।
विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले की राजारहाट-न्यूटाउन विधानसभा सीट पर पिछले एक दशक से तृणमूल कांग्रेस का एकछत्र राज है। उससे पहले लगातार 34 वर्षों तक यहां माकपा का वर्चस्व रहा लेकिन इस बार कहानी बिल्कुल जुदा है। पहले माकपा और अब तृणमूल के इस गढ़ में भाजपा की जबर्दस्त एंट्री हो चुकी है और वह माकपा को पीछे धकेलकर तृणमूल की मुख्य प्रतिद्वंद्वी बन गई है। ऐसे में इस बार यहां दोनों राजनीतिक दलों में कांटे की टक्कर की उम्मीद है।
वैसे माकपा भी अपने पुराने किले को फिर से फतह करने के लिए पूरा जोर लगा रही है इसलिए उसे कमतर आंकना बेमानी होगी। सब्यसाची दत्ता ने तृणमूल के टिकट पर यहां 2011 व 2016 का विधानसभा चुनाव जीता था। अब वे सत्ताधारी दल छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं और इस सीट से ताल भी नहीं ठोंक रहे। तृणमूल ने यहां तापस चट्टोपाध्याय को उतारा है और भाजपा से भास्कर रॉय चुनावी मैदान में हैं। वहीं माकपा ने राज्य के पूर्व मंत्री गौतम देव के पुत्र सप्तर्षि देब को टिकट दिया है।
पिछले लोकसभा चुनाव में तृणमूल ने यहां 26,000 से ज्यादा वोटों की बढ़त हासिल की थी, लेकिन भाजपा का वोट शेयर भी बढ़ा है। माकपा यहां अपनी खोई जमीन पाने में जुटी है। इस विधानसभा क्षेत्र में सभी समुदाय के लोगों का वास है। मुस्लिमों की भी अच्छी-खासी आबादी है। इसके अलावा मतुआ व दलित समुदाय के लोग भी यहां हैं। विधाननगर नगरपालिका के 11 वार्डों एवं न्यूटाउन-राजारहाट के पांच पंचायत इलाकों को लेकर यह विधानसभा क्षेत्र है।
सिंडिकेट और विकास बड़ा मुद्दा : सिंडिकेट राज इस विधानसभा क्षेत्र में बड़ा मुद्दा है और विरोधी दल इसी को लेकर तृणमूल को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। इसी तरह विकास भी यहां अहम मुद्दा है क्योंकि राजारहाट के जो इलाके इस विधानसभा क्षेत्र के तहत आते हैं, उन सबका समान तौर पर विकास नहीं हो पाया है। इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाता पूरी तरह खामोश हैं, जो राजनीतिक दलों की बेचैनी बढ़ा रही है।