Bengal Chunav: बलरामपुर में ममता दीदी के मंत्री शांतिराम की प्रतिष्ठा दांव पर
बलरामपुर में चुनाव परिणाम को काफी हद तक जनजातीय समुदाय का वोट प्रभावित करता है। इसका अलावा कुड़मी (महतो) भी काफी तादाद में हैं। यही कारण है कि प्रमुख दलों ने यहां दोनों तबके को रिझाने के लिए लुभावने वादे किए हैं।
राजेश चौबे, पुरुलिया। पश्चिम बंगाल की महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों में एक बलरामपुर विधानसभा सीट पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले की है। यहां ममता सरकार में मंत्री शांतिराम महतो की प्रतिष्ठा दांव पर है।यही कारण है कि पुरुलिया जिले की इस प्रतिष्ठित सीट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंकी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी यहां चुनावी रैली कर चुकी हैं।
भाजपा के स्टार प्रचारक और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए चुनावी जनसभा की है। वर्ष 2016 में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस से शांतिराम महतो ने इंडियन नेशनल कांग्रेस के जगदीश महतो को 10204 वोटों के अंतर से पराजित किया था।
शांतिराम पांच बार विधानसभा चुनाव जीत चुक हैं। वैसे शांतिराम महतो जयपुर के रहने वाले है। उन्होंने जयपुर विधानसभा क्षेत्र से तीन बार कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा एवं जीत दर्ज की। इसके बाद वह तृणमूल कांग्रेस के साथ चले गए। दल के साथ उन्होंने सीट भी बदली। जयपुर से वे बलरामपुर आ गए और यहां भी लगातार दो बार 2011 व 2016 में जीत दर्ज की। ममता बनर्जी ने उन्हें मंत्री बनाया।
शांतिराम भले पांच बार चुनाव जीत चुके हों, लेकिन इस बार उनकी लड़ाई आसान नहीं। इस सीट से भाजपा के बालेश्वर महतो उन्हें कड़ी चुनौती दे रहे हैं। पंचायत चुनाव में पुरुलिया में 21 में 19 सीटें जीतकर भाजपा ने यहां दम दिखाया था, इस जीत में बालेश्वर महतो का अहम योगदान था। लोकसभा चुनाव में भी पुरुलिया में भाजपा की धाक जमी थी। भाजपा के टिकट पर ज्योतिर्मय महतो ने यहां तृणमूल प्रत्याशी डॉ मृगांक महतो को लोक सभा चुनाव में 2,04,732 मतों से हराया था। जाहिर है भाजपा बढ़े मनोबल के साथ विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए आमादा है।
जनजातीय समुदाय की बहुलता : बलरामपुर में चुनाव परिणाम को काफी हद तक जनजातीय समुदाय का वोट प्रभावित करता है। इसका अलावा कुड़मी (महतो) भी काफी तादाद में हैं। यही कारण है कि प्रमुख दलों ने यहां दोनों तबके को रिझाने के लिए लुभावने वादे किए हैं। तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने जनजातीय समुदाय के लिए किए जा रहे काम को लेकर वोट मांगे हैं, जबकि भाजपा का आरोप है कि जनजातीय समुदाय का विकास अवरुद्ध है। सत्तारूढ़ तृणमूल ने सरकार बनने पर जनजातीय समुदाय के विकास के लिए नई योजनाएं चलाने का शिगूफा छोड़ा है। झारखंड से सटा होने के कारण यहां की राजनीति पर झारखंड का भी असर दिखता है।