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बंगाल में दुर्गा पूजा के बाद शुरू होगा कोयला खनन, ममता ने कहा- देश के लिए मॉडल होगी परियोजना

राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने 35 गांवों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की जिसमें पुनर्वास की पूरी गारंटी मिलने के बाद कोयला खनन करने का रास्ता साफ हो गया।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 07:31 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 10:01 PM (IST)
बंगाल में दुर्गा पूजा के बाद शुरू होगा कोयला खनन, ममता ने कहा- देश के लिए मॉडल होगी परियोजना
बंगाल में दुर्गा पूजा के बाद शुरू होगा कोयला खनन, ममता ने कहा- देश के लिए मॉडल होगी परियोजना

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बीरभूम के देउचा पचामी में कोयला खनन को लेकर गांववालों के साथ चल रहा गतिरोध गुरुवार को समाप्त हो गया। राज्य सरकार दुर्गापूजा के बाद से यहां कोयला खनन का काम शुरू करेगी। राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने गुरुवार को 35 गांवों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की जिसमें पुनर्वास की पूरी गारंटी मिलने के बाद कोयला खनन करने का रास्ता साफ हो गया। 3500 एकड़ पर फैली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की इस महत्वाकांक्षी योजना देउचा पचामी कोयला ब्लॉक वाले इलाके के लोगों का पुनर्वास का काम पूरा करने के बाद ही राज्य सरकार खनन के प्रथम चरण का काम शुरू करेगी।गांववालों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद मुख्य सचिव ने इसकी घोेषणा की।

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इधर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी गुरुवार देर शाम ट्वीट कर कहा कि मुख्य सचिव राजीव सिन्हा व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने इस परियोजना के बारे में स्थानीय लोगों के साथ बातचीत कर विस्तार से इसके बारे में उन्हें बताया है। स्थानीय लोगों व सभी हितधारकों के मन में जो भी प्रश्न था उसका समाधान किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि देउचा पचामी जैसी बड़ी कोयला परियोजना को निष्पादित करके हम देश के सामने इसे एक मॉडल बनाएंगे। समयबद्ध तरीके से सर्वोत्तम खनन प्रथाओं को अपनाकर सभी के समर्थन से इसका काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बंगाल में विकास के पहिए संकट के समय में भी नहीं रुकेंगे। 

उल्लेखनीय है कि पुनर्वास के मुद्दे पर लंबे समय से राज्य सरकार और ग्रामीणों के बीच गतिरोध चल रहा था। सूत्रों ने बताया कि बीरभूम के देउचापचामी में कोयला खनन कार्य शुरू करने के मुद्दे पर लंबे समय से टाल-मटोल चल रहा था। यही नहीं केंद्रीय प्रतिनिधि दल के मुआयना करने तथा हरी झंडी देने के बावजूद गतिरोध दूर नहीं हो सका था। कोयला खनन क्षेत्र में स्थित 35 गांव के लोगों के अनुमोदन को लेकर ही जटिलता थी।

राज्य सरकार की ओर से पुनर्वास पैकेज की घोषणा करने के बावजूद ग्रामीणों में दुविधा की स्थिति बनी हुई थी। कारण यह कि वाममोर्चा सरकार के शासनकाल में देउचा में पत्थर खदान का काम शुरू हुआ था। तब गांववालों को किसी तरह का पुनर्वास की व्यवस्था नहीं की गई थी। इस कारण कोयला खनन से पहले पुनर्वास को लेकर लोग सशंकित थे। गुरुवार को देउचा के एक दिवसीय दौरे पर आए मुख्य सचिव सिन्हा ने स्थानीय गौरांगिनी उच्च विद्यालय में ग्रामीणों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। पुनर्वास को लेकर उन्होंने सरकार की ओर से पूरी गारंटी दी है। इसके बाद ही गांववाले नरम पड़े।

चार चरणों में होगा खनन का काम

-मुख्यसचिव ने बताया कि देउचापचामी कोयला खनन क्षेत्र में दुर्गापूजा के बाद कुल चार चरणों में खनन का काम शुरू होना है। खनन का मूल काम शुरू होने में करीब एक साल का समय लगने की उम्मीद है। तब तक देउचा में कोयला खनन का काम कहां से और किस तरह शुरू किया जाए, इसे लेकर पूरे इलाके में जांच पड़ताल और योजना तैयार किए जाएंगे।


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