बंगाल भाजपा अध्यक्ष ने जान बारला का किया बचाव, कहा-उन्होंने लोगों की आवाज उठाई
घोष ने उत्तर बंगाल में विकास नहीं होने के लिए ममता सरकार को ठहराया जिम्मेदार कहा- बंगाल के विभाजन का भाजपा समर्थन नहीं करती जलपाईगुड़ी की यात्रा के दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा लोगों की आवाज उठाने के लिए उन्हें (बारला) अलगाववादी नहीं कहा जा सकता है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। उत्तर बंगाल के लिए अलग केंद्रशासित प्रदेश की मांग कर विवादों में घिरे केंद्रीय मंत्री व अलीपुरद्वार के सांसद जान बारला का बचाव करते हुए भाजपा की बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने शनिवार को कहा कि वह महज लोगों की शिकायतें सामने रख रहे थे। घोष ने बंगाल के उत्तरी हिस्से में विकास नहीं होने के लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार पर दोष मढ़ा।
यह उल्लेख करते हुए कि भाजपा बंगाल के विभाजन का समर्थन नहीं करती है, घोष ने कहा कि जनप्रतिनिधि के रूप में बारला अलीपुरद्वार में राज्य के विभाजन की उनकी मांग को रख रहे थे। जलपाईगुड़ी की यात्रा के दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा, लोगों की आवाज उठाने के लिए उन्हें (बारला) अलगाववादी नहीं कहा जा सकता है। केंद्रीय मंत्री बारला जून में उस समय विवादों में घिर गए थे जब उन्होंने उत्तर बंगाल के सभी जिलों को मिलाकर बंगाल से अलग एक केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग की थी। उस वक्त घोष ने कहा था कि बारला ने निजी तौर पर यह टिप्पणी की है और भाजपा इसके पक्ष में नहीं है। वहीं, अलीपुरद्वार के सांसद का बचाव करते हुए घोष ने शनिवार को कहा, अगर एक अलग उत्तर बंगाल या जंगलमहल की मांग जोर पकड़ती है, तो इसकी जिम्मेदारी ममता बनर्जी को लेनी होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेतृत्व वाली सरकार ने उत्तर बंगाल या जंगलमहल में विकास के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा, इन क्षेत्रों के लोगों को शिक्षा, नौकरी के लिए बाहर क्यों जाना पड़ता है? कोई अच्छी चिकित्सा सुविधा या शैक्षणिक संस्थान क्यों नहीं है? बारला द्वारा उत्तर बंगाल के लिए केंद्रशासित प्रदेश बनाने की मांग के बाद भाजपा के सांसद सौमित्र खां ने बंगाल के मेदिनीपुर, बांकुड़ा और पुरुलिया जिलों के वन क्षेत्रों को मिलाकर जंगलमहल को अलग राज्य बनाने की मांग की थी।इधर, घोष के बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए टीएमसी के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने जानना चाहा कि अगर उत्तर बंगाल के लोग जाहिर तौर पर यही चाहते हैं तो विधानसभा चुनावों के दौरान एक अलग केंद्र शासित प्रदेश की मांग क्यों नहीं उठाई गई।