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कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं बंगाल विधानसभा अध्यक्ष

बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति अध्यक्ष पद पर मुकुल राय की नियुक्ति का है मामला। मुकुल राय बहाल रहेंगे अथवा नहीं यह फैसला हाईकोर्ट ने विस अध्यक्ष पर छोड़ा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल व न्यायाधीश राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने सात अक्टूबर तक समय दिया है।

By Vijay KumarEdited By: Published: Mon, 04 Oct 2021 07:19 PM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 11:14 PM (IST)
कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं बंगाल विधानसभा अध्यक्ष
भाजपा दलबदल विरोधी कानून के तहत मुकुल राय की विधानसभा सदस्यता खारिज करने की भी मांग कर रही है।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष पद पर मुकुल राय की नियुक्ति के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं। विधानसभा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बिमान बनर्जी से लेकर अधिवक्ताओं से सलाह-मशविरा कर रहे हैं। वह यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि हाईकोर्ट का निर्देश उनके अधिकारों में हस्तक्षेप तो नहीं है। अगर उन्हें लगेगा कि उनके अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप हुआ है तो वह इसी हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं।

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हाईकोर्ट का निर्देश अधिकारों में हस्तक्षेप तो नहीं

गौरतलब है कि भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में लौटे मुकुल राय पीएसी के अध्यक्ष पद पर बहाल रहेंगे अथवा नहीं, यह फैसला हाई कोर्ट ने फिलहाल विधानसभा अध्यक्ष पर छोड़ा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल व न्यायाधीश राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने इस बाबत उन्हें सात अक्टूबर तक का समय दिया है। उस अवधि तक विधानसभा अध्यक्ष के कोई निर्णय नहीं लेने पर हाई कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करेगा।

खंडपीठ ने विस अध्यक्ष को दिया 7 अक्टूबर का समय

गौरतलब है कि भाजपा की ओर से मुकुल राय को पीएसी का चेयरमैन बनाए जाने पर कडी़ आपत्ति जताई गई है। कल्याणी से भाजपा विधायक अंबिका राय ने इसे लेकर हाई कोर्ट में मामला किया था। उन्होंने कहा था कि पीएसी के अध्यक्ष पद पर मुकुल राय की नियुक्ति गैरकानूनी है। इसमें विधानसभा के नियमों का उल्लंघन किया गया है।

भाजपा की ओर से जताई जा चुकी मामले में आपत्ति

बंगाल विधानसभा की परंपरा के मुताबिक विरोधी दल के किसी विधायक को ही यह पदभार सौंपा जाता है। भाजपा की तरफ से पीएसी के लिए अपने विधायकों की जो सूची भेजी गई थी, उसमें मुकुल राय का नाम शामिल ही नहीं था, फिर उन्हें कैसे इसका चेयरमैन बना दिया गया।

विरोधी दल के किसी विधायक को ही मिलता पदभार

गौरतलब है कि इस मामले की विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष भी सुनवाई चल रही है। अब तक हुई किसी भी सुनवाई में मुकुल राय हाजिर नहीं हुए हैं। शारीरिक अस्वस्थता का हवाला देते हुए उन्होंने अब तक पीएसी की किसी बैठक की भी अध्यक्षता नहीं की है। भाजपा भी अब तक पीएसी की बैठकों का बहिष्कार करती आई है। भाजपा दलबदल विरोधी कानून के तहत मुकुल राय की विधानसभा सदस्यता खारिज करने की भी मांग कर रही है।


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