बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले वाम दलों को बड़ा झटका, वाममोर्चा के 21 सदस्यों ने थामा भाजपा का दामन
बंगाल में पूर्व मेदिनीपुर जिले से वाममोर्चा के 21 सदस्यों ने एक साथ भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। जिला स्तर के नेता भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में भगवा पार्टी में शामिल हो गए।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले वाम दलों को बड़ा झटका लगा है। यहां पूर्व मेदिनीपुर जिले से वाममोर्चा के 21 सदस्यों ने शनिवार को एक साथ भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है। जानकारी के अनुसार जिला स्तर के नेता भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में भगवा पार्टी में शामिल हो गए। वह रामनगर क्षेत्र में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव नेता कैलाश विजयवर्गीय, पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष, सांसद लॉकेट चटर्जी, विधायक सब्यसाची दत्ता और अन्य की उपस्थिति में आयोजित एक कार्यक्रम में भाजपा में शामिल हुए।
जिला क्रांतिकारी सोशलिस्ट पार्टी के नेता और पार्टी की राज्य समिति के सदस्य अश्विनी जना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा) जिला समिति के सदस्य अर्जुन मंडल, पूर्व जिला सचिवालय के सदस्य श्यामल मैती और कई अन्य लोग भाजपा में शामिल हुए हैं। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस के 2011 में सत्ता में आने से पहले पूर्व मेदिनीपुर जिले को लाल गढ़ के रूप में जाना जाता था। यानी इस क्षेत्र में वाम दलों का दबदबा रहा है।
विजयवर्गीय ने परिवर्तन के लिए भाजपा को वोट देने का किया आग्रह
-विजयवर्गीय ने कहा कि बंगाल के लोगों ने राज्य में सरकार चलाते हुए कांग्रेस, माकपा के नेतृत्व वाले वाममोर्चा और तृणमूल कांग्रेस जैसे सभी राजनीतिक दलों को देखा है। मैं लोगों से बंगाल में एक परिवर्तन के लिए भाजपा को वोट देने का आग्रह करता हूं। इस दौरान उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर भ्रष्टाचार करने को लेकर भी जमकर निशाना साधा। विजयवर्गीय ने केंद्र की ओर से चक्रवात राहत कोष से भी उनके भ्रष्टाचार की आलोचना की। भाजपा नेता ने कहा कि हम उस सरकार का समर्थन नहीं करते हैं, जो खाद्यान्न के मामले में भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। वहीं तृणमूल कांग्रेस के नेता सौगत राय ने विजयवर्गीय पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा के पास राज्य सरकार की आलोचना करने का कोई अधिकार नहीं है। भाजपा के पास बंगाल में कोई नेता नहीं है और यही कारण है कि वे राज्य के बाहर से चेहरे ला रहे हैं। बंगाल में इन नेताओं की कोई राजनीतिक प्रासंगिकता नहीं है।