West Bengal : बंगाल में भाजपा के रडार पर 300 आइएएस व आइपीएस
तृणमूल नेताओं के इशारे पर कार्य करने वाले अफसरों के कार्यों का हो रहा है मूल्यांकन सत्तारूढ़ दल के करीबी नौकराशाहों के बारे में भाजपा को अफसर ही दे रहे हैं जानकारी नौकरशाह और पुलिस अफसरों के नामों की सूची तैयार की गई है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। राज्य में कार्यरत करीब तीन सौ आइएएस व आइपीएस अफसरों के प्रशासनिक कार्यों का भाजपा मूल्यांकन कर रही है। नौकरशाह और पुलिस अफसरों के नामों की सूची तैयार की गई है। सत्तारूढ़ तृणमूल के करीबी के रूप में वर्ष 2016 से लेकर लगातार साढ़े चार वर्षों से काम करने वाले अफसरों के कार्यों का लिखित विवरण तैयार किया जा रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं केंद्र सरकार के अधीन इन नौकरशाहों व पुलिस अधिकारियों की वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट(एसीआर) की जांच की जा रही है।
आरोप है कि योग्यता के मापदंडों पर विचार किए बिना सिर्फ शासक दल की तरफदारी करने पर अधिकारियों की एसीआर में नंबर बढ़ा दिया जाता है। सूत्रों का कहना है कि राज्य प्रशासन की इस अभूतपूर्व मूल्यांकन के बारे में राज्य सचिवालय नवान्न में कार्यरत अधिकारियोंं का एक बड़ा धड़ा भाजपा को जानकारी दे रहा है। सत्तारूढ़ दल के करीबी कई अधिकारियों के अतीत, वर्तमान समेत सभी तरह के क्रियाकलापों के बारे में पूरा विवरण उनके साथ काम किए सहकर्मी ने दिया है। केंद्रीय एक भाजपा नेता का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने का लक्ष्य लेकर हमलोग आगे बढ़ रहे हैं। उक्त नेता ने यही कहा कि इसी लिए प्रशासन के अंदर की स्थिति के बारे में जाने के लिए यह कदम उठाया गया है। इस आवश्यक कार्य में इनपुट देने के लिए बहुत सारे नौकरशाह और पुलिस अफसर आगे आए हैं। सेंट्रल कैडर के आइएएस, आइपीएस अफसरों का कर्म जीवन काफी हद तक केंद्र सरकार के हाथों में रहता है। परंतु, क्यों कोई भी आफिसर अपने बैचमेट के बारे में जानकारी भाजपा तक पहुंचाएंगे?
नौकरशाह व पुलिस अफसरों के एक बड़े धड़े में व्यापक असंतोष
इस सवाल पर उक्त नेता का कहना है कि ममता के शासनकाल में नौकरशाह व पुलिस अफसरों के एक बड़ा धड़े में व्यापक असंतोष है। क्योंकि, एक तरफ सत्ताधारी दल के करीब रहकर अयोग्य आफिसर ऊंचे-ऊंचे पद पर बैठे हुए हैं। वहीं कुछ अफसर जो मुख्यमंत्री के करीबी हैंं वह रिटायर होने के बाद भी वर्षों से नौकरी में बने हुए हैं। जिसके चलते पदोन्नति के जो नियम है वह पूरी तरह से धराशाई हो चुका है।
कई बंगाल छोड़कर सेंट्रल डेेपूटेशन पर जाना चाहते हैं लेकिन उन्हें जबर्दस्ती रोककर रखा हुआ है। उक्त नेता का मानना है कि पिछले साढ़े नौ वर्षों में यहां आइएएस और आइपीएसों का संगठन लगभग समाप्त हो चुका है। उक्त नेता का कहना है कि प्रशासन को लेकर उक्त दोनों ही संगठनों को बोलने का कुछ अधिकार नहीं है। यहां बताना आवश्यक है कि कुछ दिनों पहलेे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रशासनिक बैठक के दौरान नवान्न में आरोप लगाया था कि बंगाल के आइएएस व आइपीएस अफसरों को केंद्र सरकार की ओर डराया और धमकाया जा रहा है।